हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में जेबीटी शिक्षकों की भर्ती में भ्रष्टाचार के जाने का आरोप लग रहा है। यह आरोप जेबीटी, डीएलएड प्रशिक्षित बेरोजगार संघ ने लगाया है। इन आरोपों के अनुसार इसमें कई ऐसे शिक्षक नियुक्ति हुए हैं जिनके डिग्री व डिप्लोमा फर्जी हैं। भारती पाने वालों ने जम्मू-कश्मीर सहित अन्य राज्यों से डिग्रियां हासिल की हैं।
बतौर रिपोर्ट्स, सूचना का अधिकार (आरटीआइ) के तहत ली गई जानकारी में इसका पता चला है। इन भर्तियों में कई शिक्षक ऐसे नियुक्त हुए हैं जिनके डिप्लोमा में एडिटिंग की गई है।
कुछ के डिप्लोमा में अंक हाथ से लिखे गए हैं। कुछ की प्लस टू बाद में हुई है जबकि डिप्लोमा पहले का किया हुआ है। विभाग के ध्यान में भी यह मामला सामने आया था। इसके बाद इन्हें कंडिशनल नियुक्तियां दी गई। आरोप है कि सरकार ने अभी तक इन भर्तियों की विजिलेंस क्लीयरेंस ही नहीं करवाई।
संघ ने एडीजीपी विजिलेंस को शिकायत पत्र भेजा है। इसमें उन्होंने सात बिदुओं पर जांच की मांग उठाई है। 2014 से अभी तक जेबीटी की सभी भर्तियों में चयनित जितने भी ईटीटी व स्पेशल एजुकेशन रखे गए हैं उनके दस्तावेजों की जांच की जाए। प्रथम व द्वितीय वर्ष की मार्कशीट एक ही वर्ष में पूर्ण की गई है।
ज्यादातर मार्कशीट में एडिटिग की गई है। एक वर्ष में एक सत्र की जारी मार्कशीट अलग अलग सचिव के हस्ताक्षर ज्यादातर मार्कशीट हस्तलिखित है।
वहीं, कुछ अभ्यर्थी के अधूरे दस्तावेज हैं। कुछ मार्कशीट में उनके जारी करने की तिथि अंकित ही नहीं है। 2003 से 2007 तक जितना भी ईटीटी का रिकार्ड है वह सीबीआइ ने जब्त किया हुआ है। संघ ने एसपी शिमला को भी ज्ञापन सौंपकर इस मामले की जांच की मांग उठाई।