ओलावृष्टि से जिला शिमला के उपरी क्षेत्रों में बागवानी को करीब 77 करोड़ के नुकसान हुआ है जबकि बर्फबारी से सेब व अन्य फलों को हुई क्षति का आकलन किया जा रहा है । उप निदेशक उद्यान जिला शिमला डॉ0 देसराज शर्मा ने वीरवार को विशेष बातचीत के दौरान बताया कि ओलावृष्टि होने से जिला के पांच ब्लॉक नारकंडा, ननखड़ी, जुब्बल व कोटखाई, रोहड़ू, चिड़गांव काफी प्रभावित हुए है और इन ब्लॉक में विशेषकर सेब के वृक्षों में लगे फूलों को काफी क्षति हुई है जबकि चौपाल, ठियोग, रामपुर, बसन्तपुर, मशोबरा ब्लॉक में कम नुकसान आंका गया है । डॉ0 देसराज शर्मा ने बताया कि जिला के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी से सेब व अन्य फलों को हुए नुकसान का जायजा विभाग की विशेष टीम द्वारा किया जा रहा है । ओलावृष्टि होने से बागवानों की रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है। क्योंकि अपर शिमला में विशेषकर सेब की बागवानी आय का एक मात्र साधन है ।
डॉ0 शर्मा का कहना है कि जिला के 50 हजार हैक्टेयर भूमि पर बागवानी की जाती है जिसमें 40 हजार हैक्टेयर भूमि पर सेब के बागीचे हैं ं। जबकि जिला के निचले क्षेत्रों में आम, नींबू, पलम, चैरी नाशपाती और खुमानी की पैदावार होती है । कहा कि शिमला जिला में औसतन तीन से चार लाख मिट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है और जिला से करीब दो से अढाई करोड़ पेटियां देश की विभिन्न मंडियों में पहूंचती है । डॉ0 शर्मा ने बताया कि सबसे अहम बात यह है कि प्रदेश में हर वर्ष सेब से करीब पांच करोड़ का कारोबार होता है जिसमें से अकेले तीन हजार करोड़ जिला शिमला का है । सेब के कारोबार से राज्य की जीडीपी को बल मिलता है ।
उप निदेशक उद्यान ने बागवानों को सलाह दी है कि ओलावृष्टि के उपरांत पौधों में 100 ग्राम कार्बनडाजिम अथवा 600 ग्राम मेनकोजेब दवाई को दो सौ लीटर मंे डालकर स्प्रे करें। ओलावृष्टि के तीन-चार दिन बाद पौधों में 200 ग्राम बोरिक एसिड, 500 ग्राम जिंक सल्फेट को 200 लीटर में घोलकर छिड़काव करे । इसी प्रकार 10-12 दिन बाद ओलावृष्टि से ग्रस्त पौधों में एग्रोवीन अथवा माईक्रोविट दवाई की भी दो सौ लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करें ।