हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) शिमला से किसी भी विभाग में पीएचडी करने के लिए अब प्रवेश परीक्षा पास करनी होगी। एचपीयू की शैक्षणिक परिषद की स्टैंडिंग कमेटी ने मंगलवार को हुई बैठक में फैसला लिया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नियमों को अपनाकर नए बनाए नियमों को सख्ती से लागू किया जाएगा। पीएचडी में प्रवेश को लेकर पूर्व कुलपति के कार्यकाल में हुए विवाद के बाद कार्यकारिणी परिषद की बैठक में लिए फैसले के अनुसार प्रवेश के लिए नियम बनाने को लेकर बनी कमेटी की सिफारिशों को स्टैंडिंग कमेटी ने मंजूरी दे दी। इसे अब विवि के अध्यादेश का हिस्सा बनाया जाएगा। विवि के अधिष्ठाता अध्ययन प्रो. कुलभूषण चंदेल की अध्यक्षता में स्टैंडिंग कमेटी की बैठक हुई। अब इन नियमों को ईसी की मंजूरी के लिए रखा जाएगा। पीएचडी में दाखिले के लिए 80 अंक प्रवेश परीक्षा के, 20 अंक नेट, जेआरएफ और एम फिल में से दिए जाएंगे।
गौर हो कि इससे पहले पूर्व कुलपति सिकंदर कुमार के कार्यकाल में एचपीयू के अधिकारियों और कर्मचारियों के बच्चों को बिना प्रवेश परीक्षा पीएचडी में दाखिला दे दिया था, जिस पर विवाद हुआ था। अब बैठक में तय हुआ कि कॉलेज और यूनिवर्सिटी शिक्षकों से भरी जाने वाली सीटों पर तभी प्रवेश मिलेगा, जब विभाग में सीट खाली होगी। बैठक में विश्वविद्यालय में इसी सत्र से स्नातकोत्तर डिग्री कोर्स में लागू किए गए सीबीसीएस (च्वायस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम) के बनाए नियमों को भी कमेटी ने मंजूरी दी। इसके अनुसार ही स्नातकोत्तर डिग्री कोर्स के विद्यार्थियों का क्रेडिट आधार पर मूल्यांकन शुरू होगा। बैठक में एमए संस्कृत विभाग और दूरवर्ती शिक्षण संस्थान इक्डोल ने एमए संस्कृत में कर्मकांड शुरू करने को मंजूरी दी। वहीं, बी वॉक के 2020-21 के विद्यार्थियों का विलंब शुल्क माफ करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी। बैठक में स्नातकोत्तर डिग्री कोर्स के पाठ्यक्रम में आवश्यकता अनुसार बदलाव करने का प्रस्ताव मंजूर किया। स्नातक डिग्री कोर्स में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने के लिए कमेटियों के गठन और इसके प्रारूप पर चर्चा की गई। नीति को अगले सत्र से स्नातक कोर्स में शुरू करना है।