शिमला, 09 अप्रैल
हिमाचल प्रदेश पंचायती राज विभाग द्वारा पंचायत सचिव के 239 पदों की भर्ती प्रक्रिया पर पहले भी कई सवाल उठे थे। फीस को लेकर भी प्रश्न तो उठाए गए थे, लेकिन अभ्यार्थियों ने मजबूरी ने ऊंचे शुल्क को अदा भी किया। इसके अलावा छंटनी परीक्षा का आयोजन हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय द्वारा करवाए जाने को लेकर भी औचित्य समझ नहीं आया था।
खैर, अब लंबे अरसे बाद आए नतीजे को लेकर भी दबी जुबान से उम्मीदवारों द्वारा सवाल उठाया जा रहा है। फिलहाल, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से आधिकारिक जानकारी नहीं है, लेकिन दबी जुबान से उम्मीदवारों का कहना है कि केवल वो अपना ही परिणाम देख पा रहे हैं। दूसरे अभ्यर्थी का परिणाम नहीं दर्शाया गया है, इससे कैसे पता चलेगा कि कौन सफल हुआ है, कौन असफल।
कट ऑफ को लेकर भी स्थिति स्पष्ट नहीं है। विभाग ने 17 दिसंबर 2020 को इन पदों को लेकर आवेदन आमंत्रित किए थे। तर्क दिया गया था कि विश्वविद्यालय से ये परीक्षा इसलिए आयोजित करवाई जा रही है कि जल्द से जल्द भर्ती प्रक्रिया पूरी हो जाए।
फीस के हंगामे के बाद 22 अक्तूबर 2021 को परीक्षा का आयोजन किया गया। करीब पांच महीने के पश्चात विश्वविद्यालय द्वारा यह अधिसूचना जारी की गई कि भर्ती का परिणाम जारी कर दिया गया है।
मीडिया ने परिणाम जारी होने की खबरों को प्रमुखता से प्रकाशित किया, लेकिन सच्चाई यह है कि कोई रिजल्ट आया ही नहीं है, बल्कि उम्मीदवारों को उनके अंक ही बताए गए हैं। दिलचस्प ये है कि अपने अंकों का आकलन तो अभ्यर्थी खुद भी करने में सक्षम होते हैं। रिजल्ट के आधार पर तो ये पता चलता है कि कौन चयनित हुआ है।
हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग के अलावा हिमाचल लोक सेवा आयोग द्वारा परीक्षा के बाद आंसर की भी अपलोड की जाती है। एक से दो महीने के बीच रिजल्ट घोषित हो जाता है। उत्तीर्ण उम्मीदवारों के नाम भी स्पष्ट किए जाते हैं। लेकिन हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय द्वारा बेतहाशा फीस लेने के बावजूद भी कथित तौर पर गोलमोल परिणाम जारी करने के आरोप अंदर खाते लग रहे हैं।