शिमला
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कैदी की गलत तरीके से सहायता करने के मामले में कड़ा संज्ञान लिया है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश रंजन शर्मा ने पीजीआई के तीन चिकित्सकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। अदालत ने चिकित्सकों को निजी शपथपत्र दायर करने के आदेश दिए हैं।
अदालत ने चिकित्सकों से पूछा है कि किन परिस्थितियों में सजायाफ्ता कैदी को गलत प्रमाण पत्र जारी किया गया है। अदालत ने याचिकाकर्ता दीपराम को 24 घंटे के भीतर आत्मसमर्पण करने के आदेश दिए हैं।
अदालत ने पाया कि नेफ्रोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजा रामचंद्रन, संबंधित वरिष्ठ रेजिडेंट और चिकित्सा अधीक्षक नेहरू अस्पताल पीजीआई चंडीगढ़ ने कैदी की गलत तरीके से सहायता की है। अदालत ने प्रमाण पत्र का अवलोकन पर पाया कि चिकित्सकों ने कैदी का इलाज करने के 21 दिन बाद से 15 दिनों की छुट्टी की सिफारिश की थी। इस प्रमाणपत्र को आधार बताकर कैदी ने अपने पैरोल को बढ़ाने की गुहार लगाई।