कोरोना के चलते अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा में इस साल ज्यादा लोग नहीं होंगे। पहली बार हजारों की जगह मात्र 200 लोग ही भगवान रघुनाथ के रथ को खींचेंगे। 1971 में भी रघुनाथ का रथ नहीं लाया गया है। कोरोना महामारी के चलते इस बार सूक्ष्म तरीके से मनाए जा रहे उत्सव में देव परंपराओं को निभाने के लिए मात्र आधा दर्जन देवी-देवताओं के रथ ही भाग लेंगे। रथयात्रा से शुरू होने वाले सात दिवसीय दशहरा उत्सव के सफल आयोजन के लिए रघुनाथ के कारकूनों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं।
कोरोना से बढ़ते मामलों को देखते हुए दशहरा उत्सव समिति भी अधिक भीड़ एकत्रित करने के पक्ष में नहीं है। रथयात्रा में सामाजिक दूरी का पूरा ख्याल रखा जाएगा। इसके लिए रथ मैदान को संवारने का काम भी शुरू हो गया है। कोरोना से दशहरा का स्वरूप कैसा होगा, व्यापारियों, देवी-देवताओं के आने, कलाकेंद्र में सांस्कृतिक कार्यक्रम को लेकर लोगों में संशय बरकरार है। वहीं देव समाज भी इस पर चुप्पी साधे हुआ है।
12 अक्तूबर को ढालपुर में होने वाली दशहरा उत्सव समिति की पहली बैठक पर जिला कुल्लू के साथ प्रदेशवासियों की नजरें टिकी हैं। भगवान रघुनाथ के मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सिंह ने कहा कि दशहरा में भगवान रघुनाथ की रथयात्रा होगी और इसको लेकर तैयारियां की जा रही हैं। कोरोना के कारण रथयात्रा में सभी जरूरी चीजों का ध्यान सबको रखना है। सरकार के आदेशानुसार ही दशहरा मनाया जाएगा।