24 अक्टूबर को शिमला में गो ध्वज को स्थापित कर गौमाता को राष्ट्रमाता घोषित कराने पहुँच रहे हैं शङ्कराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्दः जी।
सनातन धर्म में वेद, उपनिषद्, पुराणों सहित समस्त धर्मशास्त्रों में गो की महिमा कही गई है। गाय को पशु नहीं, अपितु माता का दर्जा दिया गया है। यही सनातनधर्मी हिन्दुओं की पवित्र भावना और आस्था है। इसी धार्मिक आस्था को ध्यान में रखते हुए संविधान एवं कानून में गाय को राज्य सूची से हटाकर केन्द्रीय सूची में प्रतिष्ठित कर गौमाता को राष्ट्रमाता का सम्मान दिलाने तथा गौहत्या मुक्त भारत बनाने के लिए सम्पूर्ण भारत में गौ प्रतिष्ठा आन्दोलन चल रहा है।
स्वतच्चता प्राप्ति के पूर्व से ही गौमाता की प्रतिष्ठा एवं रक्षा के प्रयास होते रहे हैं। 1966 में धर्म सम्राट् यतिचक्रचूडामणि पूज्य करपात्री जी महाराज के नेतृत्व में हुआ गौरक्षा आंदोलन इसका प्रमाण है, जिसमें हजारों गौभक्तों ने बलिदान दिया था। इसी क्रम में गौमाता को राष्ट्रमाता का सम्मान दिलाने और गोहत्या मुक्त भारत बनाने हेतु पूज्य गोपालमणि जी गौ प्रतिष्ठा आन्दोलन का नेतृत्व कर रहे हैं और इसे पूरे देश में जीवित रखा है। इस पवित्र अभियान में चारों पीठों के जगगुरु शङ्कराचार्यों का आशीर्वाद प्राप्त हो रहा है।
चारों पीठों के पूज्य जगगुरु शङ्कराचार्यों द्वारा समर्थित और आशीर्वादित यह आन्दोलन गौमाता को राष्ट्रमाता का सम्मान दिलाने और गोहत्या बंदी कानून के लिए चल रहा है। इस आन्दोलन के तहत गौ संसद् का आयोजन भी हो चुका है, जिसमें रामा गौ प्रतिष्ठा संहिता बिल सहित 42 बिन्दुओं का धमदिश पारित किया गया है।
गी प्रतिष्ठा के इस अभियान को प्रज्वलित करने हेतु गौ घृत की ज्योति प्रज्वलित कर ज्योर्तिमठ के परम पूज्य जगद्वरु शङ्कराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्दः महाराज इस आन्दोलन का निर्देशन कर रहे हैं, जिन्होंने 14 मार्च से 28 मार्च 2024 तक नंगे पैर पदयात्रा गोवर्धन से दिल्ली तक की थी। पूज्य शङ्कराचार्य जी के निर्देशन में गौ प्रतिष्ठा का यह अभियान देश भर में लगातार गतिमान है। उन्होंने इस संवत्सर को गौ संवत्सर के रूप में घोषित किया है।
पूज्य ज्योतिष्पीठाधीश्वर शङ्कराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्दः जी के निर्देशन में सम्पूर्ण भारत में गौ प्रतिष्ठा आन्दोलन के तहत गो ध्वज स्थापना भारत यात्रा 22 सितम्बर से 26 अक्टूबर तक आयोजित हो रही है, जो भारत के सभी 36 प्रदेशों की राजधानियों में जाएगी और वहाँ गो ध्वज की स्थापना की जाएगी। इस यात्रा के संयोजक पूज्य गोपालमणि जी महाराज भी पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ शङ्कराचार्य जी के साथ यात्रा कर रहे हैं।
प्रत्येक राज्य की राजधानियों में विशाल गो प्रतिष्ठा सम्मेलन आयोजित हो रहा है, जिसका श्रीगणेश भगवान श्रीराम की राजधानी अयोध्या से हो चुका है। यह यात्रा पूर्व, पश्चिम, दक्षिण, उत्तर होते हुए 26 अक्टूबर को दिल्ली पहुंचेगी। पूज्य शङ्कराचार्य जी द्वारा इस यात्रा के दौरान सभी प्रखर गोभक्तों का सम्मान किया जाएगा।
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में पूज्य शङ्कराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्दः जी 24 अक्टूबर को दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक गो ध्वज की स्थापना करेंगे और गो महासभा को सम्बोधित करेंगे। इसके बाद वे देहरादून, उत्तराखंड के लिए प्रस्थान करेंगे।
इस गो ध्वज स्थापना भारत यात्रा का उद्देश्य सम्पूर्ण राष्ट्र के गौभक्त हिन्दुओं को एक सूत्र में बांधकर गौमाता को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाना है और गौहत्या को समाप्त करने के लिए लोगों को जागरूक करना है।
इस यात्रा का सूत्रवाक्य है: गौ माता, राष्ट्र माता राष्ट्र माता, भारत माता ।
गो ध्वज स्थापना भारत यात्रा के बाद देश की राजधानी दिल्ली में गोपाष्टमी के अवसर पर 7, 8, और 9 नवम्बर को तीन दिवसीय राष्ट्रव्यापी गो प्रतिष्ठा महासम्मेलन का आयोजन हो रहा है, जो भारत सरकार को गौहत्या समाप्त कर गौमाता को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाने के लिए निर्णायक कदम साबित होगा।
इस ऐतिहासिक यात्रा की तैयारी के लिए आज, 4 अक्टूबर 2024 को शिमला में यात्रा के सह-संयोजक गोभक्त विकास पाटनी जी और अखिलेश ब्रह्मचारी जी ने प्रेस को संबोधित किया। इस अवसर पर प्रदेश संयोजक सुनील ठाकुर जी भी उपस्थित थे।