हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के उपमंडल रोहडू़ के विभिन्न गांवों में जागरा(जागरण) महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान लोगों ने हाथों में मशाल लेकर देवता का अभिनंदन किया। शनिवार को शराचली क्षेत्र के पुजारली में जागरा महोत्सव का आयोजन किया गया। जागरे में शराचली क्षेत्र की पांच पंचायतों सहित जुब्बल तहसील के दर्जनों गांवों के लोगों ने भाग लिया। जागरा का आयोजन देवता महाराज बनाड़ और देवता देशमोलिया के आशीर्वाद से किया गया।
इससे पहले शुक्रवार रात को भोलाड़ सहित विभिन्न गांवों में जागरा उत्सव मनाया गया। क्षेत्र में जागरा महोत्सव का आयोजन नौ सितंबर से शुरू हो गया था। 10 सितंबर की रात देवता पवासी और महासू देवता का जागरा उत्सव विभिन्न गांव में आयोजित हुआ। 11 सितंबर को मांदल में देवता महाराज बनाड़ और देवता देशमोलिया के जागरे के साथ ही महोत्सव संपन्न हो गया है। जागरे में विशेष रूप से लकड़ी की बिंडाली (मशाल) जलाकर लोगों ने देवता का अभिनंदन किया।
इस दौरान हाथ में मशाल लिए देवता के अभिनंदन में पारंपरिक रुप से ..तू बरमा न जाए विरसुए.. गाने की धुन पर लोगों ने नृत्य किया। देवता का आशीर्वाद प्राप्त करने और गांव में सुख-समृद्धि लाने के लिए ग्रामीण रातभर पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुनों पर नाचते रहे।
देवता के गुर जगत राम ने बताया कि हर वर्ष जागरा महोत्सव पारंपरिक ढंग से मनाया जाता है। देवता महाराज बनाड़ और देवता देशमोलिया के जागरे में शराचली सहित जुब्बल के दर्जनों गांव के लोग देवता के अभिनंदन के लिए पहुंचते हैं।
वहीं, जिला कुल्लू, मंडी और शिमला जिले में शाख माता पर्व धूमधाम से मनाया गया। शनिवार को पर्व के आठवें दिन प्राकृतिक बावड़ी के पास माता का पूजन कर विसर्जन किया गया। क्षेत्र के विद्वान पंडित चंद्र प्रकाश शर्मा ने बताया कि शाख माता पर्व आठ दिनों तक मनाया जाता है। पर्व में महिलाएं द्वादशी से सात प्रकार का धान्य रोपकर आठवें दिन ऋषि पंचमी के दिन इसे प्राकृतिक बावड़ी के पास विसर्जन करती है।
शाख माता पर्व मनाना विवाहित महिलाएं सौभाग्य मानती हैं। वहीं कथा के अनुसार प्राचीन काल से चले आ रहे इस पर्व का संबंध लव-कुश से भी है। इस पर्व को आनी खंड के कराणा, थवोली, शमेशा, ठोगी, बटाला जलोड़ी, दलाश, बौरी, नित्थर और निरमंड के कई क्षेत्र, सुकेत के चखाना, तुमन और शाला आदि गांवों में मनाया जाता है।