जिला में पैदा होने वाले बच्चों में हर दूसरा नवजात पीलिया की चपेट में आ रहा है। हमीरपुर मेडिकल कालेज से यह चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। पता चला है कि प्री मिच्योर हर दस डिलीवरी में पैदा होने वाले बच्चों में से सात पीलिया से ग्रसित मिल रहे हैं। बात मिच्योर डिलीवरी की करें तो इनमें भी दस में से छह बच्चों में पीलिया के लक्षण पाए जा रहे हैं। पीलिया के लक्षण नवजात शिशु के ऊपर साफ दिखाई देते हैं। स्वास्थ्य विभाग की माने तो यदि समय रहते पीलिया का इलाज न करवाया जाए तो बच्चे में कई तरह के शारीरिक विकार पैदा हो सकते हैं। यहां तक की बच्चा लाइफ टाइम दिव्यांग भी हो सकता है। ऐसे में पीलिया के लक्षण दिखाई देने पर तुरत चिकित्सकीय इलाज करवानो चाहिए। बात मेडिकल कालेज हमीरपुर की करें तो यहां पर रोजाना प्री मिच्योर व मिच्योर डिलीवरी होती है।
यहां के आंकड़े पर नजर दौड़ाएं तो मिच्योर होने वाली दस डिलीवरी में सात बच्चे पीलिया की चपेट में आ रहे हैं। कई बार डिस्चार्ज कर देने के उपरांत घर में नवजात में पीलिया के लक्षण दिखाई पड़ते हैं। इसका पहला लक्षण होता है शरीर में पीलापन, चेहरे, छाती, पेट, हाथों और पैर पीले हो जाते हैं। आंखों के अंदर का सफेद भाग भी पीला पडऩे लग जाता है। पीलिया होने पर बच्चों को उल्टी, दस्त होना, 100 डिग्री से ज्यादा बुखार रहना तथा पेशाब का रंग पीला होना लक्षणों में शामिल है। आरकेजीएमसी के कार्यकारी एमएस डा. अनिल वर्मा ने बताया कि नवजात बच्चों में पीलिया के लक्षण दिखाई देते हैं। लक्षण दिखाई देने के उपरांत बच्चों को चिकित्सक को दिखाएं। समय पर पीलिया का इलाज होना जरूरी है। झाड़ फूंक के चक्कर में न पड़े तथा उपचार करवाने को तवज्जों दें।