शिमला
प्रदेश में विलुप्त होते औषधीय पौधे कड़ू और चिरायता की खेती कर जाइका वानिकी परियोजना ने पहली कामयाबी हासिल की। मंडी के नाचन वन मंडल के तहत छैन मैगल, बुखरास और रोहाल गांव से संबंध रखने वाली महिलाओं के एक समूह ने उक्त दो औषधीय प्रजातियों की पहली खेप उतार दी। जाइका वानिकी परियोजना के मुख्य परियोजना निदेशक नागेश कुमार गुलेरिया के समक्ष कड़ू और चिरायता की खेप को दर्शाया गया। इस अवसर पर नागेश कुमार गुलेरिया ने जाइका से जुड़े महिला समूह को इस खेती के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि विलुप्त हो रहे ऐसी प्रजातियों की खेती कर मिसाल कायम की है। नागेश कुमार गलेरिया ने कहा कि कड़ू और चिरायता की खेती करने के बाद अब महिला समूह को पैसे मिलना भी शुरू हो गया है।
उन्होंने कहा कि मार्केट में इन औषधीय गुणों वाले कड़ू और चिरायता की मांग दिन-प्रति दिन बढ़ रही है। आने वाले समय में जाइका वानिकी परियोजना इस पर और अधिक काम करेगी। नागेश कुमार गुलेरिया ने यहां मौजूद सभी स्वयं सहाता समूहों के कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि जाइका वानिकी परियोजना हिमाचल में सामुदायिक विकास एवं आजीविका सुधार के लिए कार्य कर रही है।