रिकांगपिओ, 01 मार्च : महादेव की शीतकालीन तपोस्थली किन्नौर में महाशिवरात्रि का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। मनाने का तरीका अलग अलग होता है। किन्नौर जिला के रुशकलंग गांव में शिवरात्रि का यह पर्व वर्षों से मानते आ रहे हैं। मान्यता है कि महादेव शिव व पार्वती अपने भ्रमण के दौरान सुबह के समय रूशकलंग गांव में एक खेत में प्रकट हुए थे।
आज भी युवक मुखौटा पहन शिव के रूप में आते है वहीं एक युवक पारंपरिक आभूषण में पार्वती के रूप में आते है। शिवरात्रि मेले की शुरुआत अब भी उसी खेत से होती है जहां प्रकट हुए थे।। आज भी युवा वर्ग इस पर्व को मनाते आ रहे है। इस दिन गांव के युवा वर्ग मुखौटा पहन कर शिव के वेश में वाद्य यंत्रों के साथ नाटी लगा कर लोगों का खूब मनोरंजन करते है। रुशकलंग गांव में मनाए जाने वाला इस पर्व को देखने के लिए आस पड़ोस गांव के लोग भी बारी संख्या में यहां पहुंचते है।
इस दिन के लिए युवा कई दिन पहले तैयारी करते है। ऐसे वस्त्र व मुखौटा पहनते है ताकि उन्हें कोई पहचान न सके। लोग यह समझे कि शिव के साक्षात दर्शन हो रहे है। इस दिन सुबह से ही पूरे गांव में काफी चहल पहल रहती है।