किसान सभा 19 जनवरी को शिमला में रैली निकालकर शीघ्र नीति बनाने की करेगी मांग -डॉ0 तंवर
शिमला 24 दिसंबर । हिमाचल प्रदेश किसान सभा, सेब उत्पादक संघ, लघु एवं सीमांत किसानों ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वन भूमि से बेदखली बारे दिए गए फैसले का स्वागत किया है । किसान सभा के राज्याध्यक्ष डॉ0 कुलदीप तंवर ने बताया कि आगामी 19 जनवरी को किसान सभा विभिन्न संगठनों के साथ पंचायत भवन शिमला से सचिवालय तक पैदल मार्च करके प्रदेश सरकार से माननीय सुप्रीमकोर्ट के निर्देशानुसार नीति बनाए जाने मांग करेगी। उन्होने बताया कि किसान सभा यह भी मांग करेगी कि नीति बनाए जाने तक किसी भी गरीब व सीमांत वर्ग के किसानों को बेदखली करके उजाड़ा न जाए ।
डॉ0 तंवर ने हैरानी प्रकट करते हुए कहा कि आजतक किसी भी सरकार ने लघु व सीमांत किसानों के हितों की रक्षा के लिए माननीय अदालतों में गंभीरता से पैरवी नहीं की है जिस वजह से इस वर्ग के किसानों के सिर पर सदैव उजड़ जाने का खतरा मंडराता रहा है । वनभूमि पर तैयार किए गए असंख्य सेब के बागीचों पर सरकार ने कुल्हाड़ी चला दी । उन्होने बताया कि असंख्य गरीब और सीमांत वर्ग ने किसानों ने अपने रहने के लिए घर व गौशालाएं वनभूमि पर बनाई है । सबसे अहम बात यह है कि इन गरीबों के घरों व गौशालाओं पर यदि सरकार ने जेसीबी चलाई तो इस गरीब वर्ग का कोई ठिकाना नहीं रह जाएगा और सड़कों पर आ जाएंगे ।
डॉ0 तंवर ने बताया कि लोकतंत्र में हर व्यक्ति को जीने का मौलिक अधिकार है और हर व्यक्ति को आश्रय देना हर सरकार का संवैधानिक दायित्य है । उन्होने बताया कि वर्ष 1952 में तत्कालीन चीफ कमीशनर द्वारा अधिसूचना जारी करके राज्य में खाली पड़ी भूमि को वन भूमि घोषित किया गया था । वर्ष 1980 में जब वन सरंक्षण अधिनियम लाया गया जिसमें वन भूमि पर बसे लोगों को अतिक्रमणचारी माना गया । उन्होने कहा कि वर्ष 2002 में तत्कालीन भाजपा सरकार के पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल ने भूमि राजस्व संशोधन बारे एक 163ए एक्ट लाया गया । जिसमें लघु एवं सीमांत किसानों द्वारा अतिक्रमण की गई 20 बीघा तक भूमि को नियमित करने का प्रावधान था परंतु इस अधिनियम को माननीय हाईकोर्ट में चुनौती दी गई जिसे बीते चार अगस्त को अदालत ने निरस्त कर दिया गया था और अतिक्रमण की गई भूमि पर लगे सेब इत्यादि के पौधे काटने के आदेश दिए गए थे ।
डॉ0 तंवर ने कहा कि किसान सभा की चिंता केवल गरीब, दलित, विधवा सहित उन परिवारों से है जिनकी रोजी रोटी 4-5 बीघा भूमि में चल रही है और इस वर्ग के लिए किसान सभा ने माननीय सुप्रीमकोर्ट में याचिका दायर की थी जिसमें लघु एवं सीमांत किसानों को न्याय मिला है । उन्होने कहा कि इस वर्ग के हितों की रक्षा के लिए प्रदेश सरकार को अतिशीघ्र एक नीति तैयार करनी चाहिए और केेंद्र सरकार साथ इस गंभीर मुददे को उठाया जाए ताकि गरीब व जरूरतमंद लोगों की बेदखली न हो ।
डॉ0 तंवर ने हैरानी प्रकट करते हुए कहा कि आजतक किसी भी सरकार ने लघु व सीमांत किसानों के हितों की रक्षा के लिए माननीय अदालतों में गंभीरता से पैरवी नहीं की है जिस वजह से इस वर्ग के किसानों के सिर पर सदैव उजड़ जाने का खतरा मंडराता रहा है । वनभूमि पर तैयार किए गए असंख्य सेब के बागीचों पर सरकार ने कुल्हाड़ी चला दी । उन्होने बताया कि असंख्य गरीब और सीमांत वर्ग ने किसानों ने अपने रहने के लिए घर व गौशालाएं वनभूमि पर बनाई है । सबसे अहम बात यह है कि इन गरीबों के घरों व गौशालाओं पर यदि सरकार ने जेसीबी चलाई तो इस गरीब वर्ग का कोई ठिकाना नहीं रह जाएगा और सड़कों पर आ जाएंगे ।
डॉ0 तंवर ने बताया कि लोकतंत्र में हर व्यक्ति को जीने का मौलिक अधिकार है और हर व्यक्ति को आश्रय देना हर सरकार का संवैधानिक दायित्य है । उन्होने बताया कि वर्ष 1952 में तत्कालीन चीफ कमीशनर द्वारा अधिसूचना जारी करके राज्य में खाली पड़ी भूमि को वन भूमि घोषित किया गया था । वर्ष 1980 में जब वन सरंक्षण अधिनियम लाया गया जिसमें वन भूमि पर बसे लोगों को अतिक्रमणचारी माना गया । उन्होने कहा कि वर्ष 2002 में तत्कालीन भाजपा सरकार के पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल ने भूमि राजस्व संशोधन बारे एक 163ए एक्ट लाया गया । जिसमें लघु एवं सीमांत किसानों द्वारा अतिक्रमण की गई 20 बीघा तक भूमि को नियमित करने का प्रावधान था परंतु इस अधिनियम को माननीय हाईकोर्ट में चुनौती दी गई जिसे बीते चार अगस्त को अदालत ने निरस्त कर दिया गया था और अतिक्रमण की गई भूमि पर लगे सेब इत्यादि के पौधे काटने के आदेश दिए गए थे ।
डॉ0 तंवर ने कहा कि किसान सभा की चिंता केवल गरीब, दलित, विधवा सहित उन परिवारों से है जिनकी रोजी रोटी 4-5 बीघा भूमि में चल रही है और इस वर्ग के लिए किसान सभा ने माननीय सुप्रीमकोर्ट में याचिका दायर की थी जिसमें लघु एवं सीमांत किसानों को न्याय मिला है । उन्होने कहा कि इस वर्ग के हितों की रक्षा के लिए प्रदेश सरकार को अतिशीघ्र एक नीति तैयार करनी चाहिए और केेंद्र सरकार साथ इस गंभीर मुददे को उठाया जाए ताकि गरीब व जरूरतमंद लोगों की बेदखली न हो ।










