ठारा करड़ु की सौह (ढालपुर मैदान) में आज श्रद्धा, आस्था और समरस्ता का प्रतीक अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा शुरू होगा। यह दूसरा मौका है जब इसके देवी देवताओं की संख्या दहाई का आंकड़ा भी पार नहीं होगा। उत्सव में सात देवी देवताओं के भाग लेने पर सहमति बनी हुई है। जिसके चलते इस उत्सव में देवी हिडिम्बा, नग्गर की देवी, जमलू देवता, बिजली महादेव, रैला का लक्ष्मी नारायण देवता और देवता गौहरी भाग लेंगे।
लेकिन मुख्य रूप से भगवान रघुनाथ इस उत्सव में शामिल होंगे। इस बार देवी देवताओं के इस उत्सव को देखने के लिए लोग भी नहीं जुट पाएंगे। लोगों को अपने ही घरों में टीवी के माध्यम से उत्सव को लाईव देखना होगा। इस उत्सव में 365 तक देवी देवताओं के भाग लेने की परंपरा रही है। लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए इसका स्वरूप सीमित किया है। लिहाजा इस बार उत्सव को प्रतीकात्मक रूप से मनाया जाएगा। इस उत्सव के लिए ढालपुर का ऐतिहासिक मैदान पूरी तरह से तैयार हो गया हैं।
देवी हिडिंबा की रहती है अहम भूमिका
घाटी में देवताओं की दादी की जाने वाली माता हिडिंबा की अहम भूमिका होती है, उसके बगैर दशहरा उत्सव अधूरा माना जाता है। कुल्लू के राज दरबार के साथ देवी हिडिंबा का इतिहास है। देवी हिडिंबा ने ही कुल्लू के प्रथम राजा विहंगमणिपाल को गांव में आतंक फैलाने वाले पीति ठाकुरों का नाश करके उन्हें राजा बनाया था।
इस बार ये नहीं होगा उत्सव में
अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा में जहां 365 तक देवी देवताओं के भाग लेने की परंपरा रही है। लेकिन इस बार सिर्फ रघुनाथ के अलावा सात देवी देवता ही पहुंचेंगे। जबकि हजारों लाखों की संख्या में इस उत्सव में लोग आते है। लेकिन इस बार लोग उत्सव को देखने नहीं आ सकेंगे। जबकि लाल चंद प्रार्थी कलाकेंद्र में आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम भी नहीं होंगे। न रिकार्ड बनाने वाली कुल्लवी नाटी होगी और न ही व्यापारिक दृष्टि से दुकानें आदि सजेगी।