विवाह में आ रही हैं अड़चन तो करें यह उपाय
तुलसी विवाह करने से कन्यादान जैसा पुण्य मिलता है: पंडित डोगरा
सत्यदेव शर्मा सहोड़, ऊना।
इस साल तुलसी माता का विवाह 23 नवंबर कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी को होगा। इसी दिन भगवान शालिग्राम और माता तुलसी का विवाह बड़े ही धूमधाम से किया जाएगा। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 22 नवंबर को रात 11:03 बजे से शुरू हो रही है। इसका समापन 23 नवंबर की रात 9:01 बजे होगा। एकादशी तिथि पर रात्रि पूजा का मुहूर्त शाम 5:25 से रात 08:46 तक है। आप चाहें तो इस मुहूर्त में तुलसी विवाह संपन्न करा सकते हैं। आइए जानते हैं जाने माने अंक ज्योतिषी एवं वशिष्ठ ज्योतिष सदन के अध्यक्ष पंडित शशि पाल डोगरा से कब है तुलसी विवाह, तुलसी विवाह का मुहूर्त और तुलसी विवाह का महत्व।
देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह का शुभ समय इस साल 22 नवंबर को रात 11 बजकर 3 मिनट पर कार्तिक माह की एकादशी तिथि को प्रारंभ होगा और 23 नवंबर को रात 9 बजे समाप्त होगा। इसलिए उदया तिथि के मुताबिक, 23 नवंबर को देवउठनी एकादशी मनाई जाएगी। इस दिन शाम की पूजा का समय शाम 6 बजकर 50 मिनट पर शुरू होगा और 8 बजकर 9 मिनट पर समाप्त होगा। पंचांग के अनुसार, तुलसी विवाह कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को प्रदोष काल में होता है। देव उठनी एकादशी के अगले दिन तुलसी विवाह का आयोजन होता है। कई बार तिथियों की गणना के आधार पर एकादशी के दिन ही तुलसी विवाह का संयोग बन जाता है। द्वादशी तिथि को सूर्यास्त के बाद भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप से तुलसी का विवाह कराया जाता है। मान्यता है कि तुलसी विवाह से विवाह में आ रही अड़चन दूर हो जाती हैं। तुलसी विवाह के दिन सूर्यास्त के बाद भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप से तुलसी का विवाह कराया जाता है। हिंदू धर्म में तुलसी माता और शालिग्राम भगवान के विवाह का आयोजन करना बेहद शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से विष्णुजी और मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और सुख-सौभाग्य का आशीर्वाद देते हैं। इसके अलावा तुलसी विवाह संपन्न करवाने से कन्यादान के समान फल की प्राप्ति होती है। हिंदू धर्म में कार्तिक का महीना लोगों के लिए बहुत महत्व रखता है। कहा जाता है कि इस महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा के बाद जागते हैं, उनके जागते ही सभी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। इसके साथ ही हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को ही तुलसी और शालिग्राम भगवान का विवाह किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि तुलसी विवाह संपन्न करवाने से कन्यादान के समान फल मिलता है और मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं। साथ ही तुलसी जी और शालिग्राम की कृपा से विवाह में आने वाली बाधाएं भी दूर होती हैं और शादीशुदा जीवन में भी खुशियां बनी रहती हैं।
धन संबंधी समस्या के लिए करें ये उपाय
पंडित शशि पाल डोगरा ने कहा कि तुलसी विवाह के दिन रात में मंगलाष्टक का पाठ करें। मान्यता है इससे घर में बरकत का वास होता है। धन संबंधी समस्या से राहत मिलती है। घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है तो तुलसी विवाह के दिन तुलसी की जड़ को लेकर चांदी के ताबीज में डालकर गले में पहनना शुभ माना गया है। मान्यता है इससे कर्ज से छुटकारा मिलता है। मां लक्ष्मी प्रसन्न रहती है। तुलसी विवाह के दिन घर में हरी-भरी तुलसी का पौधा लगाना लक्ष्मी जी को आकर्षित करता है। इससे धनागमन के स्तोत्र खुलते हैं।
तुलसी विवाह का महत्व
पंडित डोगरा ने कहा कि ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति विधि-विधान के साथ तुलसी विवाह करता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही तुलसी और भगवान शालिग्राम का विधिवत पूजन करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और घर में जीवन भर सुख समृद्धि बनी रहती है। इसके अलावा परिवार के लोगों पर किसी प्रकार का कोई संकट नहीं आता है।