आसमानी बिजली ओर बादलों की गड़गड़ाहट से स्वतः उगती है गुच्छी
शिमला 20 अप्रैल । मशोबरा ब्लॉक के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में इन दिनों बारिश होने के उपरांत लोग जंगल से गुच्छियां चुगने में व्यस्त हैं । ग्रामीण लोग दिन का भोजन साथ लेकर प्रातः ही जंगल की ओर निकल जाते हैंे और सांय को घर लौटते हैंे । बता दें कि गंुच्छी प्रकृति की एक अनुपम देन है जोकि प्रकृति के स्पर्श से उगती है । यह सब्जी दुनिया की सबसे मंहगी सब्जी में से एक हैं । इसका वैज्ञानिक नाम मार्किला एस्क्यूपलैंटा है । अतीत से लेकर गुंच्छियां लोगों के आय का साधन बन चुकी है । प्रदेश के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में गुच्छियां अधिक मात्रा में पाई जाती है जिसे स्थानीय भाषा में चेंऊ, रोंटू, छतरी, चटमोर और डूंगरू के नाम से पुकारा जाता है ं । गुच्छी मशरूम के उगने का उचित समय मार्च से मई तक माना जाता है । बारिश से पहले कड़कती आसमानी बिजली की तेज किरणों और बादलों के गड़गड़ाहट होने से गुच्छी जंगलों में स्वतः ही उगती है । सबसे अहम बात यह है कि गुच्छी बिना खाद व बीज के ही उगती है । कृषि विशेषज्ञों के अनुसार समुद्र तल से 1500 से 3500 मीटर की ऊंचाई तक गंुच्छी पाई जाती है । जिसके लिए 14 से 17 डिग्री सेलसियम तापमान की आवश्यकता रहती है ।
जुन्गा के दुर्गा सिंह ठाकुर ने बताया कि आग से झुलसे हुए जंगल, नमी और घास के बीच में गुच्छी अधिक उगती हैं इनका कहना है कि प्रत्येक व्यक्ति को जंगल में गुच्छी दिखाई नहीं देती है यह केवल भाग्यशाली व्यक्ति को मिलती है । गुच्छी को जंगल से लाकर घर पर सुखाया जाता है। सूखकर गुच्छी का वजन बहुत कम रह जाता है । बता दें कि खुले बाजार में गुंच्छी की कीमत 30 से 35 हजार प्रतिकिलोग्राम बताई जाती है ।
पहाड़ों पर प्रकृति के स्पर्श से उगने वाली गुच्छी आज भी वैज्ञानिकों के लिए रहस्य बनी हुई है । गुच्छियां जंगलों में प्राकृतिक तौर पर उगती है । कुदरत ने न ही इसका बीज बनाया है और न ही उपयुक्त स्थान । आयुर्वेद विशेषज्ञ का कहना है कि गुच्छी चमत्कारी और औषधीय गुणों से भरपूर होती है। इसमें आयरन, विटामीन बी और सी के अतिरिक्त अमीनो एसिड और खनिज तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं ।
चमत्कारी औषधीय गुणों की खान है गुच्छी मशरूम
Leave a comment
Leave a comment










