नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पर्यटन स्थान कुफरी में पर्यावरण नियमों के उल्लंघन पर कड़ा संज्ञान लिया है। एनजीटी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए दो सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। मुख्य अरण्यपाल और डीएफओ शिमला को इसका सदस्य बनाया गया है। ट्रिब्यूनल ने कमेटी को आदेश दिए हैं कि वह स्थानीय प्रशासन के साथ बैठक करें और कुफरी में पर्यावरण नियमों के उल्लंघन को रोकने के लिए कदम उठाएं। ट्रिब्यूनल ने कमेटी से कार्रवाई रिपोर्ट तलब की है। मामले की सुनवाई 3 अक्तूबर के निर्धारित की गई है। मामले की सुनवाई के दौरान ट्रिब्यूनल ने पाया कि कमेटी की रिपोर्ट के बावजूद भी कुफरी में पर्यावरण संरक्षण के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए हैं। दिल्ली के अधिवक्ता ने एनजीटी को कुफरी में सफाई व्यवस्था न होने के बारे में पत्र के माध्यम से अवगत करवाया है। पत्र पर संज्ञान लेते हुए एनजीटी ने संयुक्त कमेटी का गठन कर रिपोर्ट तलब की थी।
कमेटी ने रिपोर्ट के माध्यम से अदालत को बताया कि कुफरी में पर्यावरण नियमों के कई उल्लंघन पाए गए हैं। प्राकृतिक और वनस्पति क्षरण से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। छोटे से क्षेत्र में क्षमता से अधिक एक हजार से ज्यादा घोड़े पंजीकृत किए गए हैं। इसके अलावा ठोस कचरा प्रबंधन न होने से क्षेत्र में भारी प्रदूषण फैलाया जा रहा है। पत्र में आरोप लगाया गया है कि शिमला के साथ लगते प्रसिद्ध पर्यटक स्थल कुफरी में घोड़ो की लीद ने ग्रामीणों की सेहत खतरे में डाल दी है। सफाई व्यवस्था न होने के कारण लोगों में फेफड़े का संक्रमण पैदा होता रहता है। पेट की बीमारियों से भी लोग पीड़ित हैं। घोड़ो की लीद से अमोनिया आक्साइड निकलती है। इस क्षेत्र के पेयजल स्रोतों तक लीद घुलकर पानी को दूषित करती है।