हमीरपुर, 4 मार्च
हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार अब मंदिरों के धन को अपना एटीएम बनाने पर तुली हुई है। यह आरोप पूर्व विधायक राजेंद्र राणा ने हमीरपुर में पत्रकार वार्ता के दौरान लगाया। उन्होंने प्रदेश सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिस तरह महमूद गजनवी भारत के मंदिरों पर हमला कर वहां का सोना-चांदी लूटकर ले जाता था, उसी तरह सुक्खू सरकार भी अब श्रद्धालुओं के चढ़ावे पर नजर गड़ाए बैठी है।
राजेंद्र राणा ने तीखे शब्दों में कहा कि देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु हिमाचल के मंदिरों में अपनी आस्था प्रकट करते हैं, लेकिन कांग्रेस सरकार अब इन मंदिरों को लूटने की मंशा बना चुकी है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस हाईकमान हिंदू आस्थाओं से दूरी बनाए रखता है—अयोध्या में रामलला के दर्शन से परहेज करता है, कुंभ स्नान से बचता है, लेकिन मंदिरों के धन को हड़पने के लिए तत्पर रहता है।
उन्होंने मुख्यमंत्री सुक्खू के उस बयान को भी कटघरे में खड़ा किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि “हमने हिमाचल में 97% हिंदू विचारधारा को हराकर सत्ता हासिल की है।” राणा ने सवाल उठाया कि अब वही मुख्यमंत्री हिंदू मंदिरों के धन पर कब्जा जमाने की कोशिश क्यों कर रहे हैं?
*सरकार में आपसी तालमेल नहीं, मंदिरों के धन पर अलग-अलग बयान*
राजेंद्र राणा ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि मंदिरों की संपत्ति को सरकारी योजनाओं में लगाने का फरमान सभी जिलाधीशों को जारी हो चुका है, लेकिन मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम इस मुद्दे पर अलग-अलग बयान दे रहे हैं। यह स्पष्ट करता है कि सरकार के भीतर ही बड़ा टकराव और अव्यवस्था है। मंत्रियों में कोई तालमेल नहीं है. हर किसी के अपने अलग-अलग सुर हैं।
*सरकारी खजाना लुटा, अब मंदिरों की दौलत पर नजर!*
पूर्व विधायक ने सुक्खू सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि अपने करीबियों पर सरकारी खजाना लुटाने के बाद अब यह सरकार मंदिरों की दौलत पर डाका डालना चाहती है, जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पिछले 100 दिनों से कांग्रेस का कोई संगठन नहीं है, और पार्टी अधरंग की स्थिति में पहुंच चुकी है।
राजेंद्र राणा ने साफ चेतावनी दी कि यदि सरकार ने मंदिरों की संपत्ति पर हाथ डालने की कोशिश की, तो जनता इसे कभी स्वीकार नहीं करेगी और प्रदेशभर में इसका कड़ा विरोध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वह सभी धर्म का सम्मान करते हैं लेकिन मंदिरों के पैसे पर सरकार की गिद्ध दृष्टि को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।