मजबूत हुए सुक्खू, 40 साल के राजनीतिक अनुभव का मनवाया लोहा
शिमला
हिमाचल प्ररेश के राजनीतिक इतिहास में 75 सालों में किसी भी मुख्यमंत्री ने अपने ही विधायकों से इतना बड़ा धोखा पहली बार खाया हो अपनों से जितना बड़ा धोखा मिला उतना ही बड़ा सियासी मंत्र भी,
अपनों से मिले राजनीतिक धोखे को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कमजोरी नहीं ताकत बनाई और इस सियासी संकट से पार पाया,अपने कार्यकाल के महज 15 महीनों में उप-चुनाव का सामना कर 6 में से 4 विधायकों को चुनाव जितवाकर अपनी काबलियत का सियासी लोहा विरोधियों को मनवाया, वहीं अपनी सरकार को मजबूती के साथ फिर ला खड़ा किया।
अपनी शानदार जीत से सुक्खू जी ने विरोधीयों को कड़ा संदेश दिया की अगर धोखा देने की राजनीति करोगे तो परिणाम देखने को भी तैयार रहना।
हिमाचल की राजनीति में एक नई रिवायात लिखने का जो काम 6 बागी विधायकों ने किया जिसे सदियों तक याद किया जाएगा।
अपने ही लोगों से मिले इस अप्रत्याशित धोखे को मुख्यमंत्री ने विधि का विधान और चुनौती समझकर सहज स्वीकार किया और जनता की अदालत में जाकर लड़ा, जनता ने जो फैसला सुनाया ओ आज देश और दुनिया देख रही है।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपनी कुशलता से 6 में से 4 विधायकों के राजनीतिक भविष्य पर ग्रहण लगा दिया है और और धोखा देने वालों को बड़ा सबक दिया।
अपनों से मिले धोखे से जहां सुक्खू को हाईकमान का सहयोग मिला वहीं प्रदेश की जनता का असीम प्यार और भरोसा भी बड़ा इस घटना से सुक्खू का जहां सियासी कद भी बड़ा।
मुख्यमंत्री ने इस घटना से जहां अपने 40 साल के राजनीतिक अनुभव का परिचय दिया वहीं सियासी विरोधियों को अपना लोहा भी मनवाया।
प्रदेश के उप-चुनाव में आए नतीजों के बाद कोई विधायक अपनों को धोखा देने का दुःसाहस करने से पहले सौ बार सोचने पर मजबूर होगा और कल्पना करने से डरेगा।
मुख्यमंत्री की 125 जनसभाओं और जबरदस्त प्रचार रणनीति ने 4 विधायकों का राजनीतिक भविष्य खत्म कर दिया वहीं 3 अन्य निर्दलीय विधायकों के राजनीतिक भविष्य का फैसला होना भी बाकी है ।
उप-चुनाव के नतीजे के बाद मुख्यमंत्री सूक्खु की सरकार 38 विधायकों के साथ मजबूत स्थिति में आ गई।
चुनाव जीतने के बाद सीएम सूक्खु ने
विपक्ष का मुंह भी पूरी तरह बंद करने का काम किया वहीं अपने कुशल नेतृत्व की नींव भी रख दी है।
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का बेहतर परदर्शन सूक्खु की रणनीति ओर प्रचार का ही एक हिस्सा रहा। लोकसभा में भी पिछले चुनाव की अपेक्षा कांग्रेस के सभी प्रत्याशियों का प्रदर्शन अच्छा रहा।