राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय किन्नौरी संस्कृति से इतने प्रभावित हुए कि स्थानीय कलाकारों द्वारा प्रस्तुत नृत्य में भाग लेने से अपने आप को नहीं रोक पाए। यह उनका अपना अलग ही अनुभव था, जिसपर उन्होंने कहा, ‘‘यहां आकर लगा कि हिमाचल आना सार्थक हुआ है। यहां की संस्कृति सचमुच बेजोड़ है और लोगों में जो अपनापन है, वह देश के अन्य किसी भी हिस्से में देखने को नहीं मिलता है।’’
राज्यपाल आज अपने दो दिवसीय प्रवास के दौरान जनजातीय जिला किन्नौर पहुंचे, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया। राज्यपाल के तौर पर यह उनका जनजातीय क्षेत्र किन्नौर का पहला दौरा है। इस अवसर पर स्थानीय कलाकारों ने संास्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर, लोगों को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि किन्नौर की अपनी एक अलग पहचान है। यहां की समृद्ध संस्कृति काफी आकर्षक है, जिसका संरक्षण जरूरी है। उन्होंने कहा कि भावी पीढ़ी को अपनी समृद्ध संस्कृति के बारे में बताया जाना चाहिए ताकि वह इसपर गर्व कर सके। उन्होंने कहा कि कोई भी समाज तब तक जीवित रहता है जब तक वह अपनी संस्कृति से जुड़ा रहता है। उन्होंने कहा कि देवभूमि की पहचान यहां के पहाड़, वन व नदियां हैं। संस्कृति के साथ-साथ प्रकृति का संरक्षण और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि देवभूमि की सार्थकता इसी में है कि हम स्वच्छता को जीवन में अपनाएं।
दत्तात्रेय ने नव निर्वाचित जन प्रतिनिधियों को जीत की बधाई देते हुए कहा कि उन्हें विकास का नया दायित्व मिला है। उन्होंने जनप्रतिनिधियों का आह्वान किया कि वे लोगों की जन आकांक्षाओं पर खतरा उतरे और ग्रामीण स्तर पर विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दें। उन्होंने कहा कि वे खूब मेहनत करें और प्रदेश व देश की राजनीति में भी सबसे आगे रहें। उन्होंने कहा कि विकास में महिलाओं की अहम भूमिका है। इसलिए महिलाओं को नीति निर्धारण व विकास गतिविधियों में आगे आना चाहिए विशेषकर जनजातीय क्षेत्र में उनकी भूमिका व योगदान अहम है।
राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘वोकल फार लोकल’ का नारा दिया है, जो जनजातीय क्षेत्र किन्नौर के लिए ज्यादा सार्थक है। यहां अधिकांश शिल्पकला, बुनाई व अन्य उत्पाद स्थानीय स्तर पर तैयार किए जाते हैं, जिन्हें अधिक व्यापक स्तर पर विपणन व प्रचार की आवश्यकता है।