26 February, Shimla
केंद्रीय कमेटी के आवाहन पर सीटू व हिमाचल किसान सभा ने संयुक्त रूप से केंद्र की भाजपा की मोदी सरकार द्वारा पेश किए गए किसान, मजदूर, खेतिहर मजदूरों, ग्रामीण और शहरी गरीबों सहित आम जनता विरोधी 2022-23 का केंद्रीय बजट के खिलाफ रामपुर, झकडी, निरथ, बायल, दत्तनगर आदि स्थानों पर प्रदर्शन किया।

इस अवसर पर बोलते हुए सीटू राज्य उपाध्यक्ष बिहारी सेवगी व रंजीत ठाकुर, दुग्ध उत्पादक संघ के अध्यक्ष दिनेश मेहता, कपिल, मोहर सिंह, नील दत्त, राजेश, नरेंद्र देष्टा, योगेंद्र ने कहा कि बजट 2021- 22 न केवल देश के किसान, मजदूर, खेतिहर मजदूरों, ग्रामीण और शहरी गरीबों सहित आम जनता के सभी हिस्सों की पूरी तरह से उपेक्षा करता है बल्कि इस केंद्रीय-बजट से ऐसा लगता है कि जैसे नरेंद्र मोदी की सरकार ने अपने देशी विदेशी कार्पोरेट्स आकाओं के इशारे पर देश के किसानों-मजदूरों से प्रतिशोध लेने पर तुली हुई है। बजट पूरी तरह से कार्पोरेट परस्त होने के साथ ही किसानों-मजदूरों और आम जनता की जरूरतों के प्रति पूरी तरह से हमला करने वाला है।
एन नेताओं ने कहा कि बजट में फसलों की खरीद ,खाद्य सुरक्षा, उर्वरक और मनरेगा आदि के बजट राशि में भारी कटौती से सरकार की मंशा पूरी तरह से स्पष्ट हो रही है। यह बजट मेंं भयंकर रूप से बढ़ती बेरोजगारी के, जनता की कमाई मेंं हो रही कमी, बढ़ती गऱीबी और सुनियोजित रूप से बढ़ाई जा रही महंगाई के कारण देश की बहुसंख्यक आबादी को जकड़ती जा रही भुखमरी जैसी गंभीर समस्याओं के प्रति सरकार की अनदेखी और कू्रर असंवेदनशीलता को प्रकट करता है। उन्होंने कहा कि देश के बुनियादी ढांचे , विनिर्माण और खनिज संपदा को पूरी तरह बेच देने की सरकार की विनाशकारी कोशिशों और सभी क्षेत्रों में संपूर्ण निजीकरण करने के अभियान की पृष्ठभूमि में बजट प्रस्तुत किया गया है। सभी राष्ट्रीय सम्पत्तियों व संसाधनों को देशी-विदेशी निजी हाथों में सौंप कर लूटने की छूट दी जा रही है।। यहां तक कि मिड-डे-मील योजना (जिसे अब पीएम-पोषण नाम दिया गया है) के आवंटन में भी 1,267 करोड़ रुपये की भारी कटौती की गयी है। 28-29 मार्च को राष्ट्रीय हड़ताल और ग्रामीण भारत बंद को सफल बनाकर सरकार की जनविरोधी नीतियों का विरोध करें।









