पत्रकारों की चिर लंबित मांगों को लेकर नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट इंडिया की ऑनलाइन बैठक का आयोजन किया गया। इस ऑनलाइन बैठक में पत्रकारों को आ रही विभिन्न कठिनाइयों तथा समस्याओं पर विचार विमर्श किया गया। ऑनलाइन बैठक में बिलासपुर, चंबा, हमीरपुर, कांगड़ा, कुल्लु, किन्नौर, मंडी, शिमला, सोलन, ऊना से पत्रकार जुड़े। राजधानी शिमला में भी यूनियन पदाधिकारियों द्वारा पत्रकारों की समस्या पर चर्चा की गई। साथ ही एनयूजे इंडिया की मांग नेशनल रजिस्टर फ़ॉर जर्नलिस्ट का समर्थन किया गया और पत्रकारों के शोषण पर रोष जताया गया।
इसके अतिरिक्त बददी, ऊना, डलहौजी के पत्रकारों ने मांगों को लेकर प्रेस क्लबों के आगे धरना व प्रदर्शन भी किया।
समस्त पत्रकारों ने कोरोना से मृत्यु से शिकार हुए ऊना के पत्रकार रविंद्र कुमार के निधन पर शोक प्रकट किया व दो मिनट का मौन रखा। वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र अत्री ने कहा कि एनयूजे ने सरकार से मांग उठाई थी कि जयराम सरकार कोविड के दौरान पत्रकारों को कोरोना वारियर्स घोषित करें। मगर सरकार ने पत्रकारों की मांग को दरकिनार कर दिया। जिससे पत्रकारों में रोष है।
प्रदेश महासचिव एचपीयूजे किशोर ठाकुर ने कहा कि फील्ड में जाकर अपनी जान पर खेलकर लोगों को सूचनाएं पहुंचाने वाले मीडिया को सरकार ने दरकिनार कर दिया।
प्रदेशाध्यक्ष रणेश राणा ने कहा कि आज राष्ट्रीय अध्यक्ष रास बिहारी के नेतृत्व में जो राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ है उसमें हिमाचल से भी सैंकड़ों पत्रकार जुड़े और हमने मीडिया जगत से जुड़े कई मुद्दे उठाए। शिमला में राष्ट्रीय सचिव सीमा शर्मा, प्रदेश महासचिव मीना कौंडल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनिल हेडली, सह सचिव दिनेश अग्रवाल, विशाल सूद, दीपिका शर्मा, जय शर्मा, रीना राणा, नीतू वर्मा, कमल ठाकुर सहित अन्य सदस्य मौजूद रहे। ऊना में राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य जोगिंद्र देव आर्य, डलहोजी में विशाल आनंद, सरकाघाट में रितेश चौहान, सोलन में रोहित गोयल, बद्दी में किशोर ठाकुर के नेतृत्व में धरने प्रदर्शन आयोजित किए गए। बद्दी में हुए प्रदर्शन में सुरेंद्र अत्री, किशोर ठाकुर, जितेंद्र शर्मा, रजनीश महाजन, हरदेव चौधरी रणेश राणा, राजन नेगी, संजीव ठाकुर, ऋषि ठाकुर, पवन कुमार, राकेश धीमान, ओमपाल, सुमित शर्मा, कपिल शर्मा आदि ने बेव बैठक में भाग लिया।
ये रहे मुख्य मुद्दे…
पत्रकारों के मुख्य मुददों में पत्रकारों के लिए नेशनल रजिस्टर बनाना, कोरोना योद्धा घोषित करना, जर्नलिस्ट प्रोटेक्ट एक्ट बनाना, छोटे व सूक्ष्म समाचार पत्रों को राहत पैकेज देना शामिल हैं।