हमीरपुर, 10 मार्च
प्रदेश सरकार की बेरुखी और लापरवाह नीतियों के चलते हजारों बुजुर्गों को बुढ़ापा पेंशन से वंचित कर दिया गया है। पूर्व विधायक राजेंद्र राणा ने इस मुद्दे पर कड़ा हमला बोलते हुए कहा कि सुक्खू सरकार अपने करीबी मित्रों पर सरकारी खजाना लुटाने में व्यस्त है, लेकिन बुजुर्गों को छह महीने से उनकी पेंशन तक नहीं दी जा रही। इस अन्याय के कारण बुजुर्गों को भुखमरी, दवा के अभाव और आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है।
*सरकार के पास अपनों के लिए फंड, बुजुर्गों के लिए नहीं?*
आज यहां जारी एक बयान में राजेंद्र राणा ने सवाल उठाया कि जब सरकार के पास अपने खास लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए पैसा है, तो बुजुर्गों की पेंशन रोकने की क्या मजबूरी है? उन्होंने कहा कि कई बुजुर्गों का भरण-पोषण पूरी तरह से इसी पेंशन पर निर्भर करता है। उनके लिए यह सिर्फ एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि जीवनयापन का सहारा है। छह महीने से पेंशन रोके जाने से हजारों परिवारों पर संकट मंडरा रहा है, लेकिन सरकार उनकी तकलीफों से बेखबर बनी बैठी है।
*बुजुर्गों के साथ ही अन्य वर्गों के साथ भी अन्याय*
राणा ने कहा कि यह सरकार न सिर्फ बुजुर्गों को तंग कर रही है, बल्कि सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों के बकाए भी नहीं चुका रही। समय पर पेंशन भी पेंशनरों को नहीं दी जा रही. युवा बेरोजगारी से परेशान हैं, महिलाओं से ₹1500 भत्ते का वादा पूरा नहीं हुआ, लेकिन सरकार अपने प्रचार-प्रसार में कोई कसर नहीं छोड़ रही। उन्होंने आरोप लगाया कि हर दिन अखबारों में खुद को “मानवता का मसीहा” बताने वाली सरकार की असलियत जनता के सामने आ चुकी है।
*बुजुर्गों की बद्दुआ सरकार को पड़ेगी भारी*
राजेंद्र राणा ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार जल्द ही बुजुर्गों की पेंशन बहाल नहीं करती, तो जनता इसका करारा जवाब देने के लिए तैयार बैठी है। उन्होंने कहा कि बुजुर्गों की अनदेखी करना सरकार की सबसे बड़ी भूल साबित होगी, क्योंकि उनकी बद्दुआ किसी को भी बर्बाद कर सकती है।
उन्होंने सुक्खू सरकार से तुरंत बुढ़ापा पेंशन बहाल करने की मांग की और कहा कि अगर सरकार अब भी नहीं चेती, तो जनता इसे माफ नहीं करेगी।