हमीरपुर 17 मई:
पूर्व विधायक राजेंद्र राणा ने सुक्खू सरकार पर बड़ा हमला करते हुए कहा है कि हिमाचल प्रदेश में आर्थिक दिवालियापन की स्थिति पैदा करने के लिए खुद कांग्रेस सरकार ने ही ज़मीन तैयार की है। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार की अदूरदर्शिता और लापरवाही ने प्रदेश को आर्थिक बदहाली की गहरी खाई में धकेल दिया है।
राजेंद्र राणा ने आरोप लगाया कि हमीरपुर स्थित अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड को सरकार ने सत्ता में आते ही इसलिए बंद किया ताकि युवाओं को नौकरियों से दूर रखा जा सके। बाद में डटकर जनता के बीच किरकिरी होने के बाद जब दोबारा बोर्ड को चालू किया गया तो न केवल अध्यक्ष की नियुक्ति की गई, बल्कि चार सदस्यों को भी जोड़ दिया गया, जिनमें से एक की नियुक्ति हाल ही में हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार खुले हाथों से सरकारी खजाने की बर्बादी कर रही है, जबकि धरातल पर इन पदों की कोई उपयोगिता ही नहीं है।
उन्होंने सरकार से तीखा सवाल किया कि जब वर्ष 2016 के बाद तृतीय श्रेणी के पदों के लिए इंटरव्यू की प्रक्रिया पूरी तरह समाप्त कर दी गई है और केवल दस्तावेज़ जांच ही होती है, तो आयोग में अध्यक्ष और चार-चार सदस्यों की क्या आवश्यकता है? उन्होंने आरोप लगाया कि यह पूरी नियुक्ति प्रक्रिया केवल दिखावे के लिए है और इससे सरकारी खजाने पर अनावश्यक बोझ डाला जा रहा है।
राणा ने यह भी उजागर किया कि आयोग में सदस्य नियुक्त करते समय उन्हें राज्य सरकार के स्पेशल सेक्रेटरी रैंक के अधिकारी के समकक्ष वेतन दिया जाता है, जबकि कार्य शून्य है। उन्होंने कहा कि बिना काम के लोगों को मोटी तनख्वाहें दी जा रही हैं और यह सीधा जनता के टैक्स का दुरुपयोग है।
उन्होंने सरकार की नीतियों को विफल बताते हुए कहा कि इसी सरकार ने पहले वाटर सेस कमीशन बनाकर उसमें भी अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति की और अब चयन बोर्ड में भी वही दोहराव किया जा रहा है। राणा ने आरोप लगाया कि सुक्खू सरकार ने प्रदेश में पहली बार कोषागारों पर ताले लगाए, ठेकेदारों को समय पर भुगतान नहीं हो रहा और कोई भी ठेकेदार अब सरकारी काम लेने को तैयार नहीं है। इससे प्रदेश की विकास योजनाएं भी ठप पड़ गई हैं।
पूर्व विधायक ने चेतावनी भरे शब्दों में कहा कि अगर समय रहते सरकार ने वित्तीय अनुशासन नहीं अपनाया, तो हिमाचल में आर्थिक आपातकाल की स्थिति उत्पन्न हो सकती है