भाई-बहन के अटूट प्रेम का पर्व 9 अगस्त को
कहा – श्रद्धा, संस्कृति और सुरक्षा का प्रतीक है यह पर्व
सत्यदेव शर्मा सहोड़
शिमला। श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला पावन पर्व रक्षाबंधन इस वर्ष शनिवार 9 अगस्त 2025 को पूरे देश में श्रद्धा, प्रेम और उत्साह के साथ मनाया जाएगा। यह पर्व भारतीय संस्कृति में भाई-बहन के निर्मल प्रेम, पारिवारिक एकता, और कर्तव्यों की भावना का उत्सव है। जाने माने अंक ज्योतिषी एवं वशिष्ठ ज्योतिष सदन के अध्यक्ष पंडित शशिपाल डोगरा ने कहा कि रक्षाबंधन न केवल भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करता है, बल्कि यह नारी-सम्मान, सुरक्षा और कर्तव्यबोध को भी पुष्ट करता है। बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा-सूत्र बांधकर उसकी लंबी उम्र और सफलता की कामना करती हैं। भाई, बहन की जीवनभर रक्षा का संकल्प लेते हैं। उन्होंने कहा कि यह पर्व यह भी दर्शाता है कि एक सशक्त समाज की नींव महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान से जुड़ी होती है। पंडित डोगरा ने कहा कि इस वर्ष भद्रा दोष का प्रभाव नहीं है। ऐसे में सम्पूर्ण मुहूर्त शुभ है और दिनभर राखी बांधी जा सकती है।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से रक्षाबंधन
पंडित डोगरा के अनुसार, रक्षाबंधन का पर्व केवल सामाजिक नहीं, अपितु आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करने वाला अवसर है। श्रावण पूर्णिमा पर चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं में होता है और इस दिन राखी बांधना केवल रिश्तों को नहीं, आत्मा को भी बांधता है। पंडित डोगरा आगे कहते हैं कि सूर्य व चंद्र दोनों के शुभ प्रभाव के कारण यह दिन ध्यान, संकल्प और शुभ कार्यों के लिए अत्यंत अनुकूल है। इस दिन भाई-बहन यदि मिलकर शिव-पार्वती का पूजन करें, तो पारिवारिक सौहार्द बना रहता है।
समाज और संस्कृति के लिए संदेश
पंडित डोगरा के मुताबिक आज रक्षाबंधन सिर्फ रक्त-संबंधों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह पर्व अब सामाजिक समरसता का माध्यम बन चुका है। महिलाएं पुलिसकर्मियों, सैनिकों, शिक्षकों, डॉक्टरों, पर्यावरण सेवकों और समाजसेवियों को भी राखी बांधती हैं, जिससे कर्तव्यबोध, सेवा और आपसी विश्वास की भावना और प्रबल होती है। अंक ज्योतिषी पंडित शशि पाल डोगरा ने बताया कि रक्षा बंधन के पर्व तिथि एवं शुभ मुहूर्त
रक्षा बंधन पर्व : शनिवार, 9 अगस्त 2025
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ 8 अगस्त को दोपहर 2: 12 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त 9 अगस्त को दोपहर 1: 24 बजे तक
राखी बांधने का श्रेष्ठ मुहूर्त
9 अगस्त को सुबह 5: 47 बजे से दोपहर 1:24 बजे तक।
राहुकाल (राखी न बांधें): सुबह 9: 07 से 10: 47 बजे तक।
रक्षा सूत्र बांधते समय यह मंत्र अवश्य पढ़ें
येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वां प्रति बध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥










