हिमाचल के ऐतिहासिक गेयटी थियेटर सभागार में प्रख्यात लेखिका और पत्रकार गीताश्री ने जानेमाने लेखक एस.आर हरनोट की रचनाशीलता पर प्रकाशित तीन आलोचना पुस्तकों और एक कहानी संकलन का लोकार्पण किया। इस अवसर पर विशेष अतिथि के रूप में चर्चित लेखिका कवयित्री अणु शक्ति सिंह और संगीतकार आलोचक सुनैनी शर्मा भी उपस्थित रही।
अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में गीताश्री ने कहा कि किसी लेखक की चार किताबें एक साथ लोकार्पित हों, ये एक बड़ी उपलब्धि है। हमारे समय के सजग, समर्थ कथाकार एस.आर.हरनोट का रचना संसार विपुल है और वे साहित्य -संपदा से संपन्न लेखक हैं जिनके सरोकार बड़े गहरे हैं जिनकी चिंतन दृष्टि इतिहास बोध से आती है. एक अन्वेषक की दृष्टि ही रचना को गांभीर्य और सार्थक बनाती है जो हरनोट में भरपूर मौजूद है। गीताश्री ने कहा कि हरनोट एक साहसिक लेखक है और जब समय “झूठ का दिग्विजय समय हो” तो ये चुनौतियां बड़ी हो जाती है। उन्होंने हरनोट की कहानियों के बहाने लेखकों और पत्रकारों पर हो रहे सियासी हमलों को लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा बताते हुए कहा कि ईमानदार और साहसी कलमगार की जुबान और कलम हमेशा लिखती और बोलती रहेगी। उन्होंने हरनोट की कहानियों में इको फेमीनिसम, प्रकृति, स्त्री और दलित विमर्श से लेकर पहाड़ी समाज और संस्कृति की बात करते हुए कहा कि यह बड़ी बात है कि हरनोट लेखक के साथ एक सोशियल और लिटरेरी एक्टिविस्ट भी है जिसे हर लेखक को होना चाहिए। हरनोट की निडरता और बेबाकी कई बार अचंभित करती है।
अन्य वक्ताओं में अणु शक्ति सिंह ने जहां हरनोट की कहानियों पर विस्तार से बात की वहां कवि आलोचक जगदीश बाली ने ‘हरनोट एक शिनाख़्त पुस्तक‘ पर चर्चा की और उस बहाने नामवर सिंह, कमलेश्वर, दूधनाथ सिंह, विनोद शाही, सूरज पालीवाल, रोहिणी अग्रवाल, प्रशांत रमन रवि से लेकर श्रीनिवास श्रीकांत तक की अलोचकीय टिप्पणियों के उद्धरण दिए। । संगीतकार और लेखिका सुनैनी शर्मा ने हरनोट के उपन्यास नदी रंग जैसी लड़की पर अपना वक्तव्य दिया। डॉ.देविना अक्षयवर ने हरनोट के कहानी संग्रह ‘भागादेवी का चायघर‘ पर बहुत सार्थक और सशक्त वक्तव्य दिया जिसकी खूब सराहना हुई। डॉ.कर्म सिंह, पूर्व सचिव अकादमी ने हिमाचय मंच और हरनोट के व्यक्तित्व पर विस्तार से चर्चा की। और उनकी साहित्यिक यात्रा के कई अनूठे अनुभवों को साझा किया। मंच का कुशल संचालन करते हुए डॉ.स्नेही ने हरनोट के व्यक्तित्व और कृतित्व पर कविता रूप में एक बहुत सार्थक वक्तव्य भी दिया। डॉक्टर देव कन्या ठाकुर ने हिमालय मंच और हरनोट के साहित्य के लिए दिए जा रहे योगदान पर बात करते हुए सभी उपस्थित लेखकों और श्रोताओं का धन्यवाद किया। एस आर हरनोट की कहानियों पर हाल ही में पीएचडी की उपाधि प्राप्त डॉ. अभिद्विता गौतम ने भी कहानियों पर सार्थक वक्तव्य दिया और बिस्तर बताया कि उन्होंने हरनोट की कहानियां शोध के लिए क्यों चुनी।
लोकार्पित पुस्तकों में प्रलेक प्रकाशन मुम्बई से प्रकाशित ‘एस.आर.हरनोट एक शिनाख़्त‘‘ आलोचना पुस्तक की परिकल्पना जितेन्द्र पात्रो की है जबकि संपादन प्रख्यात आलोचक डॉ. स्मृति शुक्ल ने किया है। पांच सौ पैंतीस पृष्ठ की इस पुस्तक में देश के जानेमाने लगभग 40 आलोचकों के आलेख प्रकाशित है जिसका फॉरवर्ड प्रसिद्ध आलोचक और पहल के संपादक ज्ञानरंजन ने लिखा है। दूसरी लोकार्पित पुस्तक ‘सजग कथाकार हरनोट‘ शीर्षक से देहरादून के प्रकाशक ‘समय साक्ष्य‘ ने प्रकाशित की है जिसका संपादन वरिष्ठ आलोचक और सेतु साहित्यिक पत्रिका के संपादक डॉ.देवेन्द्र गुप्ता ने किया है। तीसरी पुस्तक अंग्रेजी में ऑथर प्रैस दिल्ली ने छापी है जिसे डॉ.अभ्युदिता गौतम ने लिखा है। यह उनके पीएचडी थिसिज का सार भी है। उन्होंने अपना पीएचडी शोध हरनोट की अंग्रेजी में अनुवादित कहानी पुस्तक ‘केट्स टॉक‘ पर किया है जिसे प्रो0 मीनाक्षी एफ पॉल और डॉ.खेमराज शर्मा ने संपादित किया है और लंदन से कैम्ब्रिज स्कॉलर्ज प्रैस ने इसे प्रकाशित किया है। चौथी पुस्तक हरनोट का कहानी संग्रह ‘‘भागा देवी का चायघर‘‘ शीर्षक से थी जिसमें उनकी पहाड़ की संघर्षशील स्त्रियों पर नौ कहानियां संकलित है।
इस अवसर पर इंदौरा से कार्यक्रम में पधारी सामाजिक कार्यकर्ता रचना पठानिया का स्वागत सम्मान मफलर टोपी पहनाकर किया गया। उपस्थित लेखकों बुद्धिजीवियों का धन्यवाद डॉक्टर देव कन्या ठाकुर द्वारा किया गया।
पठानकोट इंदौरा जैसे दूरस्थ शहर से कार्यक्रम में पधारी युवा सोशियल एक्टिविस्ट का भी सम्मान किया गया।
कार्यक्रम के समापन पर विशेषकर गीताश्री के आग्रह पर आर्यन हरनोट द्वारा निर्देशित और निर्मित लघु फिल्म कील को भी दिखाया गया जो हरनोट की कहानी कीलें पर आधारित है जिसकी सभी ने खूब प्रशंसा की।
खचाखच भरे गेयटी सभागार में जहां शहर के वरिष्ठ और युवा लेखक पत्रकार बुद्धिजीवी शामिल थे वहां स्कूलों और विश्वविद्यालयों के छात्रों सहित उनके पंचायत क्षेत्र से भी बहुत से चाहने वाले मौजूद रहे। बहुत से लेखक श्रोता अन्त तक खड़े रहकर कार्यक्रम आनंद लेते रहे न। उपस्थित लेखकों में उच्च अध्ययन संस्थान शिमला के नेशनल फैलो प्रो. आनंद कुमार, पत्रकार प्रशांत मोहन, श्रीनिवास जोशी, डॉक्टर ओ सी हांडा, मीनाक्षी एफ पॉल, राकेश कुमार सिंह, नेम चंद अजनबी, ओम प्रकाश शर्मा, डॉक्टर विजयलक्ष्मी नेगी, शीला हरनोट, आर्यन हरनोट, जगत प्रसाद शास्त्री, रमेश, जगदीश गौतम, रीना भारद्वाज, डॉक्टर मस्त राम शर्मा, दीप्ति सारस्वत, वंदना राणा, नीता अग्रवाल, दिनेश शर्मा, आशुतोष, दिनेश गुप्ता, मिनर्वा बुक शॉप के मालिक साहित्य अनुरागी अग्रवाल जी, बीरेंद्र शर्मा, अश्वनी शर्मा, डॉक्टर विकास सिंह,अश्वनी कुमार, जगदीश कश्यप, मनमोहन धनी, राजेंद्र कंवर, यादव चंद, मोहन जोशी, संजय भारद्वाज, जवाहर कौल, अजेय शर्मा, कल्पना गांगटा, डॉक्टर रोशन लाल जिंटा, संदीप हरनोट, डॉ राजन तनवर, रचना तनवर, हरदेव धीमान, विनोद भारद्वाज, संजय शर्मा, जगबीर सिंघा, राजेश कुमार सिंह, समता जी, अमर उजाला के ब्यूरो प्रमुख सुरेश शांडिल्य जी, अश्वनी वर्मा, रोशन पाराशर, अभिषेक कश्यप, डॉक्टर कौशल्या ठाकुर, जगदीश शर्मा, सुमन धंजय, इंजीनियर वी के अग्रवाल, जगदीश गौतम सहित विश्वविद्यालय के अनेक छात्र, प्राध्यापक और बहुत से साहित्य प्रेमी थे। इस कार्यक्रम का आयोजन हिमालय साहित्य संस्कृति एवं पर्यावरण मंच द्वारा किया गया।