प्रदेश में स्क्रब टाइफस जानलेवा बनता जा रहा है। आईजीएमसी में स्क्रब टाइफस ने 2 महिलाओं की जान ली है। दोनों महिलाओं का उपचार आईजीएमसी में चल रहा था। इनमें एक महिला शिमला के सुन्नी और दूसरी सिरमौर के सराहां की रहने वाली थी।
बताया जा रहा है कि सराहां की 29 वर्षीय महिला को 19 सितम्बर को आईजीएमसी में भर्ती करवाया गया था जबकि सुन्नी की महिला को भी कुछ दिन पहले भर्ती किया गया था। दोनों महिलाएं आईजीएमसी के मेडिसन वार्ड में भर्ती थी। इस साल में अब तक स्क्रब टाइफस से 3 लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं 174 लोग स्क्रब टाइफस की चपेट में आ चुके हैं। जान गंवाने वाली तीनों महिलाएं ही है।
स्क्रब टाइफस एक जीवाणु से संक्रमित पिस्सू के काटने से फैलता है जो खेतों, झाड़ियों व घास में रहने वाले चूहों में पनपता है। जीवाणु चमड़ी के माध्यम से शरीर में फैलता है और स्क्रब टाइफस बुखार बन जाता है। चिकित्सकों का तर्क है कि लोगों को चाहिए कि इन दिनों झाड़ियों से दूर रहें और घास आदि के बीच न जाएं लेकिन किसानों और बागवानों के लिए यह संभव नहीं है क्योंकि इन दिनों खेतों और बगीचों में घास काटने का अधिक काम रहता है। यही कारण है कि स्क्रब टाइफस का शिकार होने वाले लोगों में किसान और बागवानों की संख्या ज्यादा रहती है। लोगों को जैसे ही कोई लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
स्क्रब टाइफस होने पर मरीज को तेज बुखार जिसमें 104 सेर 105 तक जा सकता है। जोड़ों में दर्द और कंपकपी ठंड के साथ बुखार, शरीर में ऐंठन अकड़न या शरीर का टूटा हुआ लगना, अधिक संक्रमण में गर्दन, बाजू व कूल्हों के नीचे गिल्टियां का होना आदि इसके लक्षण हैं।
लोग सफाई का विशेष ध्यान रखें। घर व आसपास के वातावरण को साफ रखें। घर व आसपास कीटनाशक दवा का छिड़काव करें। मरीजों को डॉक्सीसाइक्लन और एजिथ्रोमइसिन दवा दी जाती है। स्क्रब टाइफस शुरूआत में आम बुखार की तरह होता है लेकिन यह सीधे किडनी और लीवर पर अटैक करता है। यही कारण है कि मरीजों की मौत हो जाती है।