हिमाचल में सत्ता बनाने और गिराने में कर्मचारियों का बड़ा हाथ होता है। हर राजनीतिक दल चुनाव से पहले कर्मचारी फैक्टर का ख़ास ख़याल रखता है। पर शायद जयराम सरकार कर्मचारियों को लुभाने की जल्दबाजी में नहीं है। शायद सरकार चुनावी वर्ष के लिए सारी सौगातें बचा कर रखना चाहती है। साथ ही प्रदेश की खराब आर्थिक स्थिति भी आड़े आ रही है। कारण भले ही आर्थिक संकट हो मगर खामियाज़ा तो सत्तारूढ़ भाजपा को भुगतना पड़ सकता है। विधानसभा के मानसून सत्र में पहले सरकार ने पुरानी पेंशन बहाल करने से इंकार किया और अब मुख्यमंत्री ने ये कह दिया है कि अनुबंध कर्मियों को नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता लाभ दिया जाना सही नहीं है। पुरानी पेंशन बहाल होने की उम्मीद लिए बैठे कर्मचारी तो नाराज़ हो ही गए थे और अब तो नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता की मांग कर रहे कर्मचारी भी खफा हो गए है। बता दें की हिमाचल में जल्द ही चार उपचुनाव होने है और 2022 के आम विधानसभा चुनाव भी अब दूर नहीं है। ऐसे में जहां सरकार कर्मचारियों को खफा करती जा रही है, वहीं विपक्ष इनका हमदर्द बनता जा रहा है। ये स्पष्ट है कि हिमाचल के पौने तीन लाख कर्मचारियों को जो भाएगा सत्ता की सुनहरी चाबी उसी के हाथ लगेगी।
दरअसल, विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान मुख्यमंत्री ने विधायक पवन कुमार काजल और विनय कुमार के सवाल का लिखित जवाब देते हुए कहा है कि नियमित कर्मचारियों के विपरीत अनुबंध आधार पर नियुक्त कर्मचारियों पर सेवा संबंधित विभिन्न नियम लागू नहीं होते हैं। अनुबंध आधार पर नियुक्त व नियमित कर्मचारियों के नियमों एवं शर्तों में असमानता के कारण अनुबंध आधार पर नियुक्त कर्मचारियों को नियमितीकरण के बाद उनकी नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता लाभ दिया जाना सही नहीं है। हिमाचल प्रदेश लोकसेवा आयोग व हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग की ओर से चयनित अनुबंध कर्मचारियों की प्रदेश में संख्या लगभग 8900 है। सरकारी सेवा में कार्यरत सभी कर्मचारियों को वरिष्ठता उनकी नियमितीकरण की तिथि से दिया जाता है। मुख्यमंत्री ने बताया कि नियमित कर्मचारियों के विपरीत अनुबंध आधार पर नियुक्त कर्मचारियों पर सेवा संबंधित विभिन्न नियम लागू नहीं होते हैं। अनुबंध आधार पर नियुक्त व नियमित कर्मचारियों के नियमों एवं शर्तों में असमानता के कारण अनुबंध आधार पर नियुक्त कर्मचारियों को नियमितीकरण के बाद उनकी नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता लाभ दिया जाना सही नहीं है।
मुख्यमंत्री के इस बयान पर हिमाचल अनुबंध नियमित कर्मचारी संगठन ने नाराज़गी जताई है। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष मुनीष गर्ग, प्रदेश महासचिव अनिल सेन, प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष संजय कुमार ने सामूहिक बयान में कहा कि संगठन अनुबंध और अनुबंध से नियमित कर्मचारियों को नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता पर मुख्यमंत्री द्वारा विधानसभा में दिए गए जवाब से बेहद नाराज़ है। मुख्यमंत्री ने लिखित रूप में अनुबंध काल से वरिष्ठता देने से मना किया है। कर्मचारियों का कहना ही कि पूर्व में विभिन्न कर्मचारियों को लाभ देने के लिए सरकार द्वारा कई बार नियम बदले गए हैं तो अनुबंध कर्मचारियों को वरिष्ठता क्यों नहीं दी जा सकती?
2008 में प्रदेश में पहली बार भाजपा सरकार ने बैच और कमीशन आधार पर चयनित कर्मचारियों को 8 साल के अनुबंध पर नियुक्ति देना शुरू किया था। इससे पहले बैच और कमीशन पास कर्मचारियों को नियमित नियुक्ति दी जाती थी। कर्मचारी केवल नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता की मांग कर रहें है जिसे सरकार बार बार नियमों का हवाला देकर टाल रही है। अनुबंध नियमित कर्मचारी संगठन का कहना है कि अगर पूर्व सरकारों में कोई निर्णय असमानता पर आधरित लिया गया हो तो वर्तमान सरकार का दायित्व है कि कर्मचारी हित में ऐसे निर्णयों को बदले, ना कि नियमों का हवाला देकर अपना पल्ला झाड़े। अगर नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता देने का सरकार विचार नहीं रखती तो बार बार कर्मचारियों को आश्वासन क्यों दिए जाते हैं? आखिर पिछले 3 सालों से ऐसी कौन सी तकनीकी बाधाएं हैं जो दूर नहीं हो रहीं।










