एसएफआई हिमाचल प्रदेश राज्य कमेटी के द्वारा आगामी विधानसभा चुनाव व छात्रों के मुद्दों को लेकर एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया. एसएफआई हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ देश का सबसे बड़ा छात्र संगठन होने के नाते देश की राजनीतिक परिस्थितियों में गहरी रूचि रखता है. क्योंकि हम मानते हैं कि शिक्षा के क्षेत्र में मौजूद तमाम समस्याएं या छात्रों के विभिन्न सवाल सीधे तौर पर सरकार या देश की राजनीतिक व्यवस्था से जुड़े होते हैं. और जब तक हम उस राजनीतिक व्यवस्था में हस्तक्षेप नहीं करेंगे और उन सवालों को सरकार के समक्ष उठाते हुए उन सवालों के समाधान उन मुद्दों के हल के लिए संघर्ष नहीं करेंगे तब तक यह समस्याएं इसी तरह हमारे शिक्षा क्षेत्र को खोखला करती रहेगी .
इसीलिए एक स्वतंत्र व राजनीतिक रूप से परिपक्व संगठन होने के नाते स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के संदर्भ में इस प्रेस वार्ता के माध्यम से ऐलान करती है कि जो राजनीतिक दल छात्रों के मुद्दों को लेकर पिछले 5 सालों से हो रहे संघर्षों को तरजीह देते हुए उनके मुद्दों को अपने घोषणापत्र में जगह देते हुए आने वाले 5 साल के लिए एक गारंटी देते हुए उन सवालों को हल करने व शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाते हुए छात्रों की बुनियादी समस्याओं को हल करने का आश्वासन देंगे . स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया पूरे प्रदेश में उस राजनीतिक दल या उन स्वतंत्र उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान करने के लिए हिमाचल प्रदेश के छात्र समुदाय से अपील भी करेगी और उस प्रचार अभियान में हिस्सा भी लेगी.
एसएफआई हिमाचल प्रदेश राज्य सचिव अमित ठाकुर व राज्य अध्यक्ष रमन ने कहा कि राजनीति जब हमारा भविष्य तय करती है तो यह हर एक छात्र का कर्तव्य बनता है कि वह अपने भविष्य को तय करने के लिए एक ऐसी राजनीति प्रदेश के अंदर चुने या स्थापित करने के लिए प्रयास करें जो उसके भविष्य को सुरक्षित बनाएं .
इसी संदर्भ में आज हमारे समक्ष हमारे प्रदेश में 3 बड़े राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र जारी हो चुके हैं. तीनों राजनीतिक दलों में भारतीय जनता पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और भारत की मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी इन तीनों राजनीतिक दलों के घोषणापत्र को अध्ययन करने के बाद स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की राज्य कमेटी ने तय किया है कि भारतीय जनता पार्टी के संकल्प पत्र में एक भी बिंदु शिक्षा की गुणवत्ता या शिक्षा व्यवस्था में सुधार व छात्र संघ चुनाव जैसे लोकतांत्रिक अधिकार को बहाल करने के लिए एक भी शब्द अंकित नहीं किया गया है. यह भारतीय जनता पार्टी का शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषय को लेकर उसकी नकारात्मक सोच को दर्शाता है कि किस तरीके से प्रदेश की तरक्की प्रदेश के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले शिक्षा के क्षेत्र को नजरअंदाज किया गया .
दूसरी तरफ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के घोषणा पत्र में सिर्फ कोरी घोषणाएं हैं. इससे भाजपा सरकार के शासन से पूर्व के 5 सालों में पूरे प्रदेश के छात्र समुदाय ने रुसा जैसी शिक्षा को खोखला करने वाले प्रणाली, छात्र संघ चुनाव पर प्रतिबंध लगाने का तानाशाही पूर्ण फैसला ,भारी-भरकम फीस बढ़ोतरी करने का फरमान यह सारी कांग्रेस सरकार की देन थी .जिसे 2017 के बाद सत्ता में आई भाजपा सरकार ने भी गति देने का काम किया आज फिर से यह दोनों राजनीतिक दल छात्रों को युवाओं को गुमराह करने के लिए रोजगार या शिक्षा में हल्के-फुल्के सुधार करने के नाम पर गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं.
दूसरी तरफ भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी के घोषणा पत्र में शिक्षा के संदर्भ में अलग-अलग 7 बिंदुओं पर चर्चा की गई है. जिसमें शिक्षा का निजीकरण, निजी शिक्षण संस्थानों की लूट ,छात्रों के जनवादी अधिकार केंद्रीय छात्र संघ चुनाव को बहाल करने, भारी-भरकम फीस बढ़ोतरी पर रोक लगाने, अलग-अलग स्कूल कॉलेज और विश्वविद्यालय में खाली पड़े पदों को तर्कसंगत तरीके से पारदर्शी तरीके से भर्ती प्रक्रिया के तहत सभी पदों को भरने व नई शिक्षा नीति जैसी घातक प्रणाली को समाप्त कर एक वैज्ञानिक तर्कशील वह रोजगार पैदा करने वाली शिक्षा नीति को लागू करने का वायदा घोषणा पत्र में किया गया है .
इन प्रमुख बिंदुओं को लेकर पिछले 5 सालों से स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया हिमाचल प्रदेश के अंदर अनेक को निर्णायक संघर्ष लड़ चुकी है. और हम मानते हैं कि अगर भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी इन मुद्दों पर खरा उतरती है. और इन सवालों को लेकर विधानसभा में चर्चा करने के लिए कुछ नुमाइंदे चुनकर पहुंचते हैं. तो जाहिर सी बात है छात्रों के यह सवाल हमेशा के लिए हल होने वाले हैं.
इसलिए स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया हिमाचल प्रदेश राज्य कमेटी ने यह फैसला किया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी के उम्मीदवार जिन जिन विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं. स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया उनके पक्ष में छात्रों के मुद्दों के आधार पर व शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए, छात्र संघ चुनाव की बहाली के लिए और निजी शिक्षण संस्थानों की लूट पर रोक लगाने के लिए, छात्रों की स्कॉलरशिप को बहाल करने के लिए इन तमाम मुद्दों को लेकर कांग्रेस-भाजपा के खिलाफ सीपीआईएम के उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान करने के लिए जोर-शोर से प्रचार अभियान का हिस्सा बनेगी और लोगों से मतदान की अपील भी करेगी.