शिमला नगर निगम चुनाव को लेकर सियासी पारा चढ़ गया है। चुनाव प्रचार 30 अप्रैल को थम जाएगा। प्रत्याशियों के पास जनता का भरोसा जीतने के लिए सिर्फ 23 दिन का समय है। इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी। दोनों अपने मजबूत कैंडिडेट के साथ चुनावी रण में उतरेगी। हालांकि अभी तक पार्टियों ने अपने प्रत्याशी के नामों को सार्वजनिक नहीं किया है।
अभी राजनीतिक पार्टियां अपने मजबूत कैंडिडेट तलाश रही हैं। इसके लिए लगातार बैठकों का सिलसिला जारी है। BJP विधानसभा चुनाव हारने के बाद अपना पूरा जोर MC चुनाव जीतने में झोंक देगी। 10 सालों के बाद कांग्रेस के लिए सत्ता में आना काफी चुनौतीपूर्ण रहेगा।
2012 से 2017 तक नगर निगम पर राज करने वाली माकपा इस बार कमजोर दिखाई दे रही है। पार्टी के पास इतने मजबूत चेहरे नहीं हैं, जिनके दम पर माकपा नगर निगम की सत्ता पर काबिज हो सके। वहीं कांग्रेस के लिए भी यह चुनाव अग्नि परीक्षा साबित होंगे।
2017 से 2022 तक भाजपा ने 5 साल के लिए सत्ता संभाली। इस दौरान कांग्रेस कहीं भी दिखाई नहीं दी। अब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है तो ऐसे में यकीनन पार्टी जीत हासिल करना चाहेगी। प्रदेश की कांग्रेस सरकार के CM सुक्खू के लिए यह चुनाव पहला एग्जाम हैं।
विधानसभा चुनाव से प्रदेश में पहली बार दिखाई दी आम आदमी पार्टी चुनाव में मिली करारी हार के बाद कहीं गुम हो गई है। अभी तक पार्टी ने यह सुनिश्चित नहीं किया है कि वह चुनाव लड़ेगी या नहीं।
नगर निगम चुनाव में इस बार गुटबाजी भी देखने को मिलेगी। टिकट की चाह रखने वाले प्रत्याशी सांठ गांठ और दल बदलाव कर चुनाव में खड़े हो सकते हैं। जाहिर है इस बार MC इलेक्शन में काफी उथल पुथल देखने को मिलेगी। राजनीतिक दल सोमवार के बाद ही प्रत्याशियों के चेहरे उजागर करेंगे। फिलहाल पार्टियां उम्मीदवार को लेकर मंथन कर रही है।