शिमला 02 मार्च । क्योंथल क्षेत्र में महाशिवरात्रि का पर्व प्राचीन परंपरा के साथ मनाया गया । महाशिवरात्रि पर्व पर जहां शिवालयों में लोगों द्वारा शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है । वहीं पर क्योंथल क्षेत्र में महाशिवरात्रि के पर्व पर लोगों द्वारा अपने घरों में दीपावली की तरह विशेष पूजा की जाती है ।
शिवरात्रि के अवसर पर लोगों द्वारा अपने घरों में महादेव शिव की पूजा के लिए विशेष सफाई की जाती है । पूजा के लिए एक घर को सजाया जाता है । अनेक गांव में घर की एक दिवार पर शिव व पार्वति के विवाह के चित्र बनाए जाते हैं । मंडप को बहुत अच्छे ढंग से सजाया जाता है । मंडल पर आटे के रोट के साथ नंदी तथा बकरे व भेड़ू बनाकर सजाए जाते हैं इसके अतिरिक्त मंडप पर शिवरात्रि के तैयार किए गए विशेष पकवान जिनमें कचैरी, उड़द के सनशे, दाल चावल, फल इत्यादि को भगवान के समक्ष परोसा जाते हंै । मंडप पर सबसे आकर्षित करने वाला चंदुआ होता है जिसे शिव-पार्वति विवाह के लिए पाजा, बिल्वपत्र व भांग घतूरा से तैयार किया जाता है ं। रात्रि को परिवार के सदस्यों द्वारा एक कड़छी में आग लेकर उसमें घी के साथ पाजा व बिल्वपत्र डालकर विशेष पूजा की जाती । रात्रि को कई घरों में जागरण भी किया जाता है । उसके उपरांत परिवार के सभी सदस्य बैठकर भोजन करते हैं ।
धरेच के तुलसीराम चैहान ने बताया कि शिवरात्रि को दीपावली पर्व की भांति मनाया जाता है । इस मौके पर शिव-पार्वति के विवाह की रस्मंे आदीकाल से निभाई जाती है । उन्होने बताया कि शिवरात्रि के अगले दिन प्रातः की पक्षियों के जागने से पहले चंदुआ को घर के बाहर टांग दिया जाता है । बताया कि शिवरात्रि पर्व के अगले दिन विवाहित बहनों व बेटियों को विशेष भोजन अर्थात कचैरी ले जाने की परंपरा बदलते परिवेश में आज भी कायम है जिसका बहन बेटियां कई दिनों से बेसब्री से इंतजार रहता है । जिसे स्थानीय भाषा में बासी लेकर जाना कहा जाता है । अतीत में लोग अपनी बेटियों को भोजन अर्थात बासी छोटे किलटे में डालकर ले जाते थे परंतु समय के परिवर्तन के साथ साथ अब लोग किलटू की बजाए बेग में डालकर ले जाते हैं ।