19 मई 2025
मंडी
मंडी से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार अपने ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) के वादे से भी पीछे हट रही है। जिन चुनावी गारंटियों के दम पर कांग्रेस सत्ता मेंआई है। एक-एक करके उनसे किनारा कर रही है। मुझे यह बात स्पष्ट रूप से पता चली है कि अब मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने अधिकारियों को ओपीएस की जगह केंद्र सरकार की यूनिफाइड पेंशन स्कीम ( यूपीएस) का विकल्प तलाशने के निर्देश दिए हैं। सुक्खू सरकार ने अपनी पहली कैबिनेट में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने का फैसला किया था। कैबिनेट के फैसले के बाद भी यह स्कीम पूरी तरह लागू नहीं हुई थी। कैबिनेट के फैसले में ही निगम और बोर्ड के कर्मचारियों को ओपीएस में पहले ही शामिल नहीं किया गया था। जिन विभागों को शामिल भी किया गया था, उनमें कोई स्पष्टता नहीं थी। प्रदेश के कर्मचारियों को भी इसका लाभ ढंग से नहीं मिल रहा था जिससे कर्मचारियों में ऊहापोह की स्थिति थी। ऐसे में सरकार द्वारा यूपीएस के लिए विकल्प तलाशने के लिए कहना समझ के परे है। यह सरकार का अपनी गारंटियों से मुंह मोड़ना और अपने फैसले से भागना है।
यह सरकार खुद को कर्मचारियों हितैषी होने का दंभ भरती है। लेकिन सरकार की कारगुजारियां प्रदेश और कर्मचारी विरोधी की है। यह सरकार प्रदेश के लोगों को न कोई सुविधा दे पा रही है और न ही कर्मचारियों और पेंशनर्स को समय से वेतन और पेंशन। कर्मचारियों का डीए लंबे समय से लंबित है। कर्मचारियों के मेडिकल बिलों का भुगतान भी नहीं हो रहा है। जिसकी वजह से लोग इलाज को तरस जा रहे हैं। जीपीएफ से पैसे निकालने पर सरकार समय-समय पर कोई न कोई नियम जरूर लगा रही है जिससे लोगों को आवश्यकता पड़ने पर अपने सुख-दुःख के लिए जमा किया गया पैसा नहीं मिल रहा है। अब सुक्खू सरकार यूपीएस का विकल्प चुनकर अपनी लाइबिलिटी केंद्र सरकार पर थोपना चाहती है। क्या यह प्रदेश के कर्मचारियों के साथ धोखा नहीं है? नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यही बात हम भी कर रहे थे। कर्मचारियों के लिए बेहतर विकल्प निकालने के प्रयास हमने भी केंद्र सरकार से मिलकर किया था। इसीलिए हमने कर्मचारियों से समय मांगा था। जिससे एक कॉम्प्रिहेंसिव, प्रभावी और दीर्घकालिक पेंशन योजना लागू की जा सके। जो कर्मचारियों के साथ–साथ प्रदेश के हितों की भी रक्षा कर सके।
जय राम ठाकुर ने कहा कि जिन गारंटियों के दम पर कांग्रेस सत्ता में आई थी उन सभी गारंटियों से मुंह मोड़ लेना जनादेश का अपमान है। प्रदेश के लोगों के साथ धोखा है। प्रदेश के लोगों ने कांग्रेस को उनकी 10 गारंटी और उनके झूठे घोषणा पत्र के आधार पर जनादेश दिया था। लेकिन सत्ता में आने के बाद ही कांग्रेस के नेता और सरकार उन गारंटियों को भूल गई। घोषणा पत्र को पलट कर भी नहीं देखा। सरकार ने तो सदन में ही कह दिया था कि हमने ऐसी कोई गारंटी दी ही नहीं। इसके बाद सरकार के मंत्री अलग-अलग मंचों पर और मीडिया के माध्यम से कांग्रेस की गारंटियों से मुकरते रहे। दूसरी तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रदेश भर के मंचों से एक-एक कर सभी गारंटियों के पूरा होने की घोषणा करते रहे। प्रदेश भर में गारंटियों के पूरे होने के झूठे विज्ञापन छपवाते रहे, बोर्डिंग का बैनर लगवाते रहे। अब ओपीएस के बजाय यूपीएस का विकल्प तलाशने के निर्देश देना सरकार और मुख्यमंत्री की मंशा पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सत्ता में आने के बाद ही कांग्रेस अपनी गारंटी से मुकर रही हैं। प्रदेश के 1 लाख युवाओं को पहली कैबिनेट में सरकारी नौकरी देने की घोषणा और कुल 5 लाख नौकरी देने के वादे से सरकार हर स्तर पर मुकर गई है। नौकरियां देने की वजह नौकरियां छीनने वाली सरकार के रूप में सुक्खू सरकार जानी जाती है। 18से 59 साल तक की प्रदेश की हर महिलाओं को ₹1500 देने का वादा पूरी तरह झूठ साबित हो चुका है। 300 यूनिट फ्री बिजली देने की गारंटी पूरी करना तो दूर पूर्व सरकार द्वारा दी जा रही 125 यूनिट फ्री बिजली और बिजली सब्सिडी को खत्म करके सरकार ने बिजली की कीमतें ढाई गुना तक बढ़ा दी है। स्टार्टअप योजना अख़बारों को करोड़ों के विज्ञापन और सड़कों पर होर्डिंग्स के भरमार के आगे नहीं बढ़ पाई। हर विधानसभा में स्वास्थ्य संस्थान और डे बोर्डिंग स्कूल खोलना दूर की बात सत्ता में आने के बाद सुख की सरकार ने 2 हजार से ज्यादा स्कूल–कॉलेज बंद कर दिए और प्रदेश के लोग इजाल के अभाव दर-दर भटकने को मजबूर हैं। गाय का दूध ₹80 भैंस का दूध ₹100 खरीदने की गारंटी अभी भी हवा हवाई है। अपनी गारंटीयों से पीछे हट जाने वादों के खिलाफ काम करने वाली सुख की सरकार सत्ता में बने रहने का हक भी खो चुकी है।