शिमला 07 मार्च । प्रदेश सरकार ने छठें वेतन आयोग के एरियर को लेकर राज्य के पैंशनर्स के साथ बहुत बड़ा भद्दा मजाक किया गया है । प्रदेश पैंशनर्स संघ के पदाधिकारी एंव सिरमौर जिला भाजपा प्रवक्ता मेला राम शर्मा ने वीरवार को शिमला से जारी बयान में कहा कि प्रदेश में पैंशनर्स अपने जीवन के चैथे पड़ाव में पहूंच चुके हैं जिनमें से अनेक पैंशनर्स एरियर के इंतजार में स्वर्ग सिधार चुके हैं । जबकि काफी संख्या में उम्रदराज पैंशनर्स बिमारियों से जूझ रहे है। ऐसी स्थिति में पैंशनर्स को एक मुश्त एरियर देना चाहिए परंतु सरकार पैंशनर्स के लिए प्रति गंभीर नहीं है ।
मेला राम शर्मा ने प्रदेश की सुक्खू सरकार द्वारा पेंशनरों को जारी 4ः महंगाई भत्ते की किस्त के एरियर और छठे वेतन आयोग के अनुसार बड़ी हुई पेंशन के एरियर के भुगतान के बारे में जारी अधिसूचना का हवाला देते हुए े बताया कि उक्त अधिसूचना के अनुसार जुलाई 2022 से मार्च 2024 तक 21 माह के 4ःप्रतिशत डीए एरियर का भुगतान डेढ प्रतिशतः प्रतिमाह की दर से 67 किश्तों में अर्थात 5 साल 7 महीने लग जाएंगे । सरकार के इस तानाशाही फरमान से बुढ़ापे का कठिन जीवन जी रहे पेंशनरों को भारी ठेस पहुंची है। इी प्रकार छठे वेतन आयोग के अनुसार पहली जनवरी .2016 से पहली जनवरी 2022 तक पेंशनरों की बढ़ी हुई पेंशन का एरियर 0.25ः प्रतिशत माह के हिसाब से 400 किस्तों में अर्थात 33 वर्षों तक देने का अपरिपक्कव फरमान जारी किया गया है। उन्होंने बताया कि ऐसा कौन सा सेवानिवृत अधिकारी या कर्मचारी होगा जो सेवानिवृत्ति के बाद 33 वर्षों तक बढ़ी हुई पेंशन के एरियर का इंतजार करता रहेगा।
उन्होंने उदारहरण देते हुए कहा कि जिस पेंशनर की उम्र वर्तमान में 60 वर्ष हुई है उसे 93 वर्ष की उम्र तक एरियर का भुगतान होगा और जिसकी वर्तमान में उम्र 70 साल है उसे 103 साल की उम्र तक एरियर का भुगतान हो पाएगा। मेलाराम शर्मा ने कहा कि इस शर्मनाक अधिसूचना जारी करने वाली संवेदनहीन सरकार और सुझाव देने वाले वा फैसला लेने वाले अधिकारियों को भी हिसाब देख कर बूढ़े बुजुर्ग पेंशनरों के साथ इस तरह का भददा मजाक करते हुए बिल्कुल शर्म नहीं आई । उन्होंने कहा कि इस तरह की संवेदनहीन अधिसूचना प्रदेश के इतिहास में पहली मर्तबा जारी हुई है जिसे लाभार्थी पेंशनर्स बहुत आहत हुए हैं।
उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि इस अधिसूचना को तुरंत रद्द करके पेंशनरों को एरियर का भुगतान एकमुश्त किया जाए अन्यथा बुढ़ापे के इस पड़ाव में उन्हें संघर्ष की राह अपनानी पड़ेगी और इसका खामियाजा चंद दिनों की मेहमान सुक्खू सरकार को भुगतना पड़ेगा।