दुनिया भर में विलुप्त होने के कगार पर है जाजुराना प्रजाति का पक्षी, सर्वेक्षण जारी।
पार्क क्षेत्र से सर्वे रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा जाजूराना पक्षी की मौजूदगी का रहस्य- सचिन शर्मा.
कुल्लू
जिला कुल्लु के उपमंडल बंजार में स्थित विश्व धरोहर ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क क्षेत्र के अंदर जैविक विविधता का अनमोल खजाना भरा पड़ा है। इस पार्क क्षेत्र में प्रतिवर्ष सैंकड़ों देशी विदेशी पर्यटक, प्रकृति प्रेमी, अनुसन्धानकर्ता, पर्वतारोही और ट्रैकर भर्मण करते हैं। पार्क प्रबन्धन द्वारा इस धरोहर स्थल के सरंक्षण एवं संवर्धन हेतु अनेकों योजनाओं पर कार्य किया जाता है। इस पार्क के संरक्षित क्षेत्र में मौजुद वन्य जीवों और कुछ दुर्लभ प्रजातियों के परिंदों की समय समय पर गणना की जाती है। ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क शमशी के वन मण्डल अधिकारी सचिन शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि
हर साल की भांति इस बार भी पार्क प्रबन्धन द्वारा दुनिया भर में विलुप्त होने की कगार पर पहुंचे दुर्लभ पक्षी जाजूराना की गणना की जा रही है। इन्होंने बताया कि समूचे पार्क क्षेत्र की तीनों रेंजों में 27 से 30 अप्रैल तक जाजूराना पक्षी के संभावित ठिकानों में इसकी गणना को अलग अलग टीमें भेज दी गई है। इस बार पार्क क्षेत्र में की जा रही जाजूराना की गणना में बाहरी राज्यों के कुछ वॉलंटियर भी शमिल हुए हैं, जिन्हें गणना के लिए गठित टीमों के साथ अपने अपने गंतव्य के लिए रवाना किया गया है।
वन मंडल अधिकारी सचिन शर्मा ने बताया कि ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क की तीनों रेंजों सैंज, जीवनाला और तीर्थन के संरक्षित क्षेत्र में चार दिनों तक जाजुराना पक्षी की अनुमानित गणना की जाएगी। इस कार्य के लिए विभिन्न टीमों का गठन किया गया है जो पार्क क्षेत्र के संभावित ठिकानों में जाकर
जाजुराना पक्षी की मौजूदगी के आंकड़े एकत्रित करेंगे।
इन्होंने बताया कि दुर्लभ परिंदे जाजुराना की अलग अलग विधि से गणना व सर्वेक्षण रिपोर्ट के बाद इसका डेटाबेस तैयार किया जाएगा। ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क क्षेत्र के अंदर वर्तमान में दुर्लभ पक्षी जाजूराना की मौजूदगी का रहस्य गणना रिर्पोट के बाद ही सामने आएगा।ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क शाईरोपा के वन परिक्षेत्र अधिकारी परमानंद ने बताया कि इस बार तीर्थन रेंज में जाजू राना पक्षी की गणना के लिए पांच टीमें गठित की गई है जो रोला भंडार, नाड़ा थाच, शिल्ट और छोद्वार आदि स्थानों पर जा कर जाजू राना पक्षी की मौजूदगी का पता लगाएगी।
इन्होंने बताया कि परिंदों की गणना के लिए कॉल काउंट विधि, आवाज, स्कैनिंग विधि, साइलेंट ड्राइव काउंट, उड़ते हुए पक्षियों की गिनती, मलमूत्र, गिरे हुए पंख, पक्षी द्वारा की गई खुदाई, कैमरा और दुरवीन तथा किसी विशेष स्थान की निगरानी आदि कई तकनीकों को अपनाया जाता है।इन्होने जानकारी देते हुए बताया कि इस बार बाहरी राज्यों के कुछ प्रकृति प्रेमी लोगों ने भी इस पक्षी की गणना में हिस्सा लेने की इच्छा जताई है। जबकी कुछ स्थानीय बर्ड वॉचिंग गाइड भी इस टीम का हिस्सा बने हैं। तीर्थन रेंज की टीमों में
हरियाणा राज्य के फरीदाबाद से नीतू नागर, प्रीति नगर और यश नागर तथा दिल्ली से निशांत भट्टी और हर्ष भट्टी इस गणना में शमिल हुए हैं। इसके अलावा तीर्थन घाटी के मशहूर लोकल गाइड हेम चन्द उर्फ हेमू भी इस टीम का हिस्सा बने हैं।
दुर्लभ प्रजाति का पक्षी जाजू राना दुनिया भर से विलुप्त होने के कगार पर है। इस समय विश्वभर में जाजुराना की कुल संख्या 3500 के करीब है और इसमें सबसे अधिक संख्या कुल्लू जिला में स्थित ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में पाए जाने की सम्भावना है।