अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य, पूर्व वन मंत्री व विधायक श्री नयना देवी जी राम लाल ठाकुर ने कहा कि पिछले एक डेढ़ महीने में पहाड़ों ने बहुत कुछ खोया है उन्होंने कहा कि पहाड़ की संस्कृति एक जैसी है चाहे व हिमाचल हो या फिर उत्तराखंड हो। हिमाचल प्रदेश ने 8 जुलाई को राजनीति के सबसे बड़े पुरोधा वीरभद्र सिंह जी को खोया है वही उत्तराखंड ने पर्यावरण के सबसे बड़े चिंतक चिपको आंदोलन प्रणेता सुंदर लाल बहुगुणा को उत्तराखंड ने 21 मई को खोया।
पिछले एक डेड महीने के अंतराल में दोनों ही पहाड़ी राज्यों महान हस्तियों को खोया राजनीति के क्षेत्र में वीरभद्र सिंह जी का कोई सामी नही था वही पर्यावरण चिंतक के रूप में सुंदर लाल बहुगुणा जी का कोई मुकाबला नही था। इन दोनों ही महान हस्तियों ने पहाड़ो की सभ्यता को अहमियत दी है और दोनों ने पहाड़ो की संस्कृति को उजागर करके विश्व पटल पर पहाड़ो की पहचान बनवाई है, हालांकि दोनों अलग अलग से क्षेत्र से जुड़े हुए थे। लेकिन ध्येय दोनों के समान ही थे जनसेवा। वीरभद्र सिंह जहां 6 बार के मुख्यमंत्री रहे और विभिन्न मंत्रालयो का कार्यभार देकर उनके साथ काम करने का व्यवहारिक सिद्धांत अद्धभुत था। वहीं पर जब वह वन मंत्री थे तो पर्यावरण चिंतक सुंदर लाल बहुगुणा जी जिस तरह वन संरक्षण की बात करते थे वह अनुभव भी गजब था। अगर वीरभद्र सिंह जी ने राजनैतिक सत्ता के आंदोलन के माध्यम से समाज के हर वर्ग लाभ पहुंचाते रहे वहीं पर सुंदर लाल बहुगुणा जी का दलित छात्र उत्थान का संकल्प बहुत महत्वपूर्ण था।
दोनों ही पहाड़ी नायक लोंगो से ताउम्र जुड़े रहे और समाज के प्रति बड़ी निर्भीकता के साथ संघर्षरत रहे। एक राजनीति के सर्वे सर्वा तो दूसरे पर्यावरण से जुड़े मसलों के सर्वे सर्वा पर दोनों में समानता यह थी दोनों ही पहाड़ी क्षेत्र के लोंगो से जुड़ी समस्याओं के प्रति वचनबद्ध रहे। स्व वीरभद्र सिंह जी जहां चार बार हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे वहीं सुंदर लाल बहुगुणा अपने आप मे एक पर्यावरण विषय के संस्थान थे। सुंदर लाल बहुगुणा जहां कहते थे कि “क्या हैं जंगल के उपकार, मिट्टी, पानी और बयार।
मिट्टी, पानी और बयार, जिन्दा रहने के आधार” वहीं वीरभद्र सिंह ने अपने सभी कार्यकालों में वनों को बढ़ाने, स्वच्छ हवा, जल और धरा को विकासात्मक रूप में विकसित करने के लिए अनथक रहे। ऐसे में प्रदेश में पूर्व मंत्री सुजान सिंह पठानिया और नरेंद्र बरागटा का असमय जाना भी कम दुःखद नहीं है इनका भी पहाड़ी क्षेत्र के विकास में योगदान रहा है। राम लाल ठाकुर ने कहा कि यह सब बातें वह राजनीति से ऊपर उठकर इसलिए कह रहे है कि आज की पहाड़ की युवा पीढ़ी को इन महान आत्माओं के आचरण को ध्यान में रख कर आने वाली पीढ़ियों के लिए नया इतिहास लिखना चाहिए। युवाओं के जोश को जहां वीरभद्र सिंह हमेशा प्रेरित करते रहते थे वहीं सुंदर लाल बहुगुणा ने युवाओं की शिक्षा का स्तर बढाने के लिए हमेशा प्रेरित किया करते थे।