हिमाचल प्रदेश कैडर के एक आईपीएस अधिकारी राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी (एनआईए) की जांच के दायरे में आ गए हैं। उनपर पाकिस्तान को संवेदनशील सूचनाएं पहुंचाने का मामला है।
पिछले दिनों किन्नौर स्थित उनके ठिकाने के बाद अब सिरमौर में भी उनके एक करीबी के यहां छापे की चर्चा है। इस सर्च रेड का कारण यह है कि उनका नाम जम्मू-कश्मीर के एक मानवाधिकार कार्यकर्ता से संवेदनशील सूचनाएं साझा करने से जुड़ा है। इस मानवाधिकार कार्यकर्ता पर इन सूचनाओं को पाकिस्तान को पास-ऑन करने का आरोप है।
श्रीनगर से 22 नवंबर को आतंकी संगठनों से संपर्क के आरोप में हुई मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज की गिरफ्तारी के बाद एनआईए के टॉप इन्वेस्टिगेटर रहे अफसर भी जांच की जद में आए हैं।
पिछले दिनों एनआईए की किन्नौर के अलावा सिरमौर में भी अलग-अलग जगह दबिश की चर्चा है। सूत्रों के अनुसार इस एजेंसी ने गिरफ्तारी के बाद इन अधिकारी के शिमला और किन्नौर स्थित ठिकानों के अलावा सिरमौर के रहने वाले एक करीबी के ठिकानों पर भी दबिश दी थी।
यह दबिश परवेज की गिरफ्तारी के दौरान मिली जानकारी के आधार पर दी थी। जिन सूचनाओं को परवेज की ओर से आतंकी संगठनों या पाकिस्तान से साझा करने की बात कही जा रही है, यह माना जा रहा है कि उनमें से कुछ सूचनाएं कथित तौर पर इन अधिकारी ने भी मुहैया कराई है। एजेंसी सूचनाओं के लेनदेन से जुड़े साक्ष्यों को जुटाने के लिए लगातार दबिश दे रही है। फिलहाल, मामले में न तो एनआईए की ओर से आधिकारिक रूप से कुछ कहा जा रहा है और न ही हिमाचल प्रदेश पुलिस के अधिकारी कुछ बोलने को तैयार हैं।
मूल रूप से किन्नौर के रहने वाले अधिकारी हिमाचल प्रदेश में निर्भीक और ईमानदार अफसर के रूप में माने जाते रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2006 में सामने आए सीपीएमटी पेपर लीक केस की जांच के लिए गठित विशेष जांच टीम में वह बतौर डीएसपी प्रमुख जांचकर्ता थे।
अभिभावकों ने भी उन्हें जांच अधिकारी के तौर पर नियुक्त करने की मांग उठाई थी। उस वक्त इस मामले में एक सिटिंग मंत्री के भाई समेत 119 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र बना था। वह शिमला के बहुचर्चित ईशिता तेजाब कांड के आरोपियों को पकड़ने और कई अन्य मामलों की छानबीन के लिए भी चर्चित रहे हैं।
विजिलेंस ब्यूरो शिमला में भी जांच अधिकारी रहे हैं। वह केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर एनआईए में दिल्ली चले गए थे। सूत्रों के अनुसार अब हिमाचल भी लौटना चाह रहे थे।