देवताओं व डायानें तांत्रिक शक्तियों , वाणों , पांसों तथा कुश्ती से घोघराधार का डायना बाड़ युद्ध का रण ।
27 दिनों तक चले युद्ध के बाद एक बार फिर देवता वापिस हुए डायनों द्वारा हुए वंशीकरण हुए अनुयाइयों को छुड़ाने ।
देव भूमि हिमाचल प्रदेश में सदियों से सुन रही पीढ़ी दर पीढ़ी देवताओं तथा डायनों के युद्ध की कहानी आज के दौर की पीढ़ी के लिए किसी अजूबे से कम नहीं है ।
मंडी जिले के द्रंग विधानसभा क्षेत्र की घोघराधार की पहाड़ियों में हर वर्ष बरसात के भाद्र माह के पहले दिन से शुरू देवी-देवताओं तथा डायनों का युद्ध पूरे एक माह तक चलता है ।
ग्रामीण क्षेत्रों में एक वक्त यह भी था जब देवताओं तथा डायनों के युद्ध से एक दिन पहले शाम को देवताओं के मंदिर या किसी तांत्रिक गुर से सरसों को मंत्रों उच्चारण कर सभी घरों से शाम के वक्त डायनों को भगाया जाता था बच्चों को घरों के भीतर बंद कर डायनों को मंत्रों उच्चारण सरसों तथा भेखली की टहनियों को घरों की चारों दिशाओं में स्थापित कर डायनों की बुरी दृष्टि से परिवार के सभी सदस्यों की देवता का रक्षा कवच रखते थे।
देवी-देवताओं तथा डायनों के इस युद्ध के बारे में देव भूमि हिमाचल ही नही बल्कि पड़ोसी राज्यों पंजाब ,चंडीगढ़ हरियाणा ,तथा जम्मू कश्मीर के पूर्वजों ने भी घोघराधर में होने वाली देवताओं तथा डायनों की लड़ाई की बाते सुनी हुई है ।
देवताओं तथा डायनों की यह लड़ाई भाद्र माह के शुरू दिन से लेकर पूरे अंतिम भाद्र माह तक यह युद्ध चला रहता है ।
शनिवार को देवताओं तथा डायनों के बीच हुए युद्ध परिणाम चौहार घटी के बड़े देवता हुरंग नारायण के मंदिर में देवता के गुर ने देवता के कार करिंदों तथा देवता के मंदिर में युद्ध का परिणाम सुनने आए अनुयाइयों को फैसला सुनाते हुए कहा कि इस वर्ष देवताओं ने डायनों से युद्ध में विजय पाई है । गुर कमल ने कहा कि देवताओं तथा डायनों के बीच विभिन्न शक्तियों के साथ यह युद्ध हर वर्ष होता है ।
घोघराधार के डायना बाड़ में देवताओं व डायनों का युद्ध तांत्रिक शक्तियों , वाणों, पांसो तथा कुश्ती से युद्ध हुआ है । इस युद्ध में देव हुरंग नारायण वाणों की शक्तियों के साथ डायनों को मात देते हैं।
देव हुरंग नारायण के गुर ने कहा कि 27 दिनों तक हुए युद्ध में देताओं ने डायनों पर विजय हासिल कर ली है । देवताओं व डायनों के युद्ध का परिणाम देव हुरंग नारायण के मंदिर में जाग होम कर के नही बल्कि नाकपंजू नाम के विशेष दिन को देव हुरंग के मंदिर में देवता के सभी गुर इक्ठा होकर देवताओं को बार बार पूछ कर परिणाम मालूम करते हैं। फिसले में देवता के गुर ने स्पष्ट किया कि देवताओं की विजय हुई है।
देवताओं तथा डायनों की लड़ाई के परिणाम में किसानों की फसल का राज भी छुपा हुआ रहता है । इस लिए देव भूमि का किसान देवताओं तथा डायनों के युद्ध परिणाम का बेसवरी से बरसात खत्म होते ही रहता है ।
पूर्वजों से लेकर यही सुनते आए हैं कि देवताओं व डायनों की लड़ाई में डायनों की विजय होने से किसानों की फसल की पैदावार अच्छी होती है । लेकिन देवताओं की विजय होने से किसानों की फसल का भारी नुकसान होता है लेकिन देवताओं की विजय होने से मानव समाज के साथ साथ जानवरों को बीमारियों के फैलने से देवता रक्षा करते हैं।
उन्होंने यह भी कहा है कि देवता एक बार फिर से डायनों से युद्ध करने वापिस चले गए हैं। डायनों के कब्जे में देवताओं के अनुयाइयों को छुड़वाने के लिए सभी देवता डायनों से तीन से चार दिन की भीतर अपने अपने स्थानों पर वापिस लौट जायेंगे।
देवता हुरंग नारायण के गुर ने कहा है कि डायनों द्वारा मानव समाज में जहां कहीं वंशीकरण कर रखता होता है, इस वक्त जब देवता फिर से वापिस जाकर डायनों से युद्ध कर उन्हे छुड़ाकर लाते हैं।