उचित स्थान न मिलने पर दशहरा मेला पर मंडराए संकट के बादल
शिमला 23 अक्तूबर । रियासत काल से जुन्गा में मनाए जाने वाला दशहरा मेला इस बार फीका रहेगा । उचित स्थान न मिलने से दशहरा मेला के आयोजन पर पहली बार संकट के बादल मंडरा गए है। शायद यह पहला मौका होगा कि इस जिला स्तरीय दशहरा मेला में कोई सांस्कृतिक गतिविधियां नहीं हो पाएगी । इस बात को लेकर लेकर लोगों में बहुत निराशा देखी गई है । स्थानीय लोगों के अनुसार रियासत काल से दशहरा मेला जुन्गा के स्कूल मैदान में मनाया जाता रहा है । शिक्षण संस्थानों में मेले, धार्मिक एवं राजनैतिक इत्यादि आयोजन पर माननीय उच्च न्यायालय ने रोक लगाई गई है । हालांकि बीते कई वर्षों से स्कूल मैदान में मेले के आयोजन के लिए प्रशासन द्वारा माननीय उच्च न्यायालय से अनुमति ली जाती रही है । चूंकि दशहरा के दौरान पड़ने वाले राजपत्रित एवं स्थानीय अवकाश के चलते स्कूल बंद रहते हैं । इस बार भी मामला माननीय हाई कोर्ट पहंूचा था परंतु अभियोजन कक्ष केस ठीक से प्रस्तुत न होने से अनुमति नहीं मिल पाई है जिससे मेला समिति को मेला आयोजन बारे बहुत दिक्कत पेश आ गई है ।
तहसीलदार जुन्गा एवं मेला अधिकारी रविन्द्र सिसोदिया ने बताया कि स्कूल परिसर में मेले के आयोजन बारे माननीय हाईकोर्ट से अनुमति नहीं मिली है । जिसके चलते मेला समिति ने पुलिस ग्राउंड में मेला लगाने का निर्णय लिया है परंतु इस ग्राउंड मंें पुलिस प्रशासन द्वारा लंका दहन और सांस्कृतिक गतिविधियां करवाने बारे साफ इंकार कर दिया है । जिसके चलते इस बार मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं करवाए जा सकेगें । उन्होने बताया कि लंका दहन के लिए टैक्सी स्टैंड पर रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुलते स्थापित किए जाएंगें । उन्होने बताया कि उचित स्थान न मिलने के कारण इस तीन दिवसीय मेले को अब समिति द्वारा दो दिन मनाने का निर्णय ले लिया है । 24 अक्तूबर को टैक्सी स्टैंड के समीप लंका दहन और 25 अक्तूबर को पुलिस ग्राउंड में कुश्ती और महिलाओं की रस्साकस्सी प्रतियोगिता रखी गई है ।
किसान सभा के राज्याध्यक्ष डाॅ0 कुलदीप तंवर ने इस बारे अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जहां सरकार पर्यटन गतिविधियों के विस्तार के लिए प्राचीन मेलों के सरंक्षण की बात करती है दूसरी ओर जुन्गा के दशहरा मेला को इस बार उचित स्थान बारे हैरानी जताई है । उन्होने बताया कि जुन्गा दशहरा कालांतर से स्कूल मैदान मनाया जाता रहा है । इस बार प्रशासन माननीय हाई कोर्ट में इस मामले को सही ढंग से प्रस्तुत करने में नाकाम रहा है । उन्होने बताया कि जुन्गा दशहरा क्षेत्र की 12 पंचायतों की आस्था का प्रतीक है । इस सांस्कृतिक धरोहर के सरंक्षण में सरकार को हस्ताक्षेप करना चाहिए था ।
जुन्गा दशहरा मेला में इस बार नहीं होगी कोई सांस्कृतिक नाईट
Leave a comment
Leave a comment