शिमला 15 नवंबर । 22 देवताओं के स्थान ठूंड में देवोत्थान, जिसे स्थानीय भाषा में देवठण कहते हैं, के पर्व पर हजारों लोगों ने देव जुन्गा के दर्शन करके आर्शिवाद प्राप्त किया । इस वर्ष काफी अंतराल के उपरांत देवता जुन्गा के जागरण में करियाला का आयोजन किया जिसमें प्रसिद्ध लोकगायक किश्न वर्मा सहित अन्य कलाकरों ने पूरी रात लोगों का एक पहाड़ी नाटी प्रस्तुत करके मनोरंजन किया गया । इस मौके पर भंडारा का आयोजन भी किया गया जिसमें हजारों श्रद्धालुंओं ने प्रसाद ग्रहण किया ।
देवोत्थान पर्व बारे जानकारी देते हुए मंदिर के पुजारी नंदलाल शर्मा ने कहा कि ठूंड को रियासतकाल से 22 देवताओं का स्थान माना जाता है जहां पर हर वर्ष देवशयनी और देवोत्थान के अवसर पर देव जुन्गा का आर्शिवाद पाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों से श्रद्धालु आते हैं ं। देव जुन्गा देवचंद की मान्यता सोलन जिला के स्पाठू, सिरमौर के शरगांव , नेईनेटी, शिमला के जुन्गा, शोधी, न्यू शलोठ, पीरन-ट्राई, बलोग इत्यादि क्षेत्रों में पाई जाती हैं और लोग देव जुन्गा को अपना कुलईष्ट मानते हैं ।
उन्होने बताया कि देवठन और दसूणी के अवसर पर पूरे क्षेत्र के देवता देवचंद, पंजाल के कुंथली देवता, धार के मनूणी देवता, भनोग के जुन्गा देवता सहित 22 देवता एकत्रित होते है जहां पर लोग मनौती पूर्ण होने पर देवता को भेंट अर्पित करते हैं । उन्होने बताया कि देव जुन्गा देवचंद के कलैणे में कनोगू, रोहाल, शलोंठी, भौंठी, टकराल, छिब्बर, बलीर, सराजी सहित 22 गौत्र अर्थात खैल कहते हैं, के लोग आकर परंपरा को निभाते हैं । देवठण की रात्रि को लोग डोम देवता के प्रांगण में 22 देवता का जागरण किया जाता हैं और अगले दिन देवता के गुर की देववाणी से आर्शिवाद प्राप्त करते हैं ।
जुन्गा देवता के कलैणे मनोहर सिंह ठाकुर ने बताया कि जुन्गा देवता का इतिहास क्योंथल रियासत के राजा परिवार से जुड़ा है। कहा कि जुन्गा देवता की मान्यता समूची तत्कालीन क्योंथल रियासत में पाई जाती है । इस क्षेत्र के लोग परिवार में बेटा होने व अन्य शुभ कार्यों होने पर देवता को अपने घर पर आमंत्रित करते हैं। -0-
फोटो कैप्शन- देवठण पर्व पर ठूंड में लोग देवताओं का आर्शिवाद प्राप्त करते हुए ।