हिमाचल प्रदेश में अब दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए पात्र लोगों को 50 लाख रुपये तक की राशि मिलेगी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस संबंध में राज्य सरकार को आदेश जारी किया है। वर्ष 2021 में मंत्रालय ने इस संबंध में राष्ट्रीय नीति को मंजूरी दी थी। उस समय 20 लाख रुपये तक की मदद का प्रावधान था। दुर्लभ बीमारियों में थैलेसीमिया, हिमोफीलिया, सिकल सेल अनिमिया, ऑटो इम्यून बीमारी, सिस्टिक फिबरोसिस व अन्य मस्कुलर डिस्ट्राफीज बीमारियां शामिल हैं। राष्ट्रीय आरोग्य निधि योजना के तहत उन दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए वित्तीय सहायता का प्रावधान किया गया है, जो दुर्लभ बीमारी नीति में समूह एक के तहत सूचीबद्ध हैं।
आदेश में स्पष्ट है कि इस तरह की वित्तीय सहायता के लाभार्थी बीपीएल परिवारों तक सीमित नहीं होंगे, बल्कि यह लाभ लगभग 40 फीसदी आबादी तक पहुंचाया जाएगा, जो आयुष्मान भारत और प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में शामिल हैं। दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए वित्तीय सहायता का प्रस्ताव राष्ट्रीय आरोग्य निधि योजना के तहत किया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अवर सचिव मनीष राज की ओर से यह आदेश जारी हुए हैं। हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य शिक्षा निदेशक डॉ. रजनीश पठानिया ने बताया कि यह केंद्र सरकार की योजना है। इसमें हिमाचल में बीमारियों से ग्रसित लोग भी लाभान्वित होंगे।
देश के इन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में करा सकेंगे उपचार
– अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली
– मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली
– संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, लखनऊ
– पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, चंडीगढ़
– डीएन, फिं गर प्रिंटिंग और डायग्नोस्टिक्स केंद्र, हैदराबाद
– किंग एडवर्ड मेडिकल हॉस्पिटल, मुंबई
– स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, कोलकाता
– इंदिरा गांधी अस्पताल, बेंगलुरु के साथ मानव आनुवंशिकी केंद्र (सीएचजी)