हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र नालागढ़ में ऐसा विकास सामने आया है जो इंसानियत को भी शर्मसार करता है।
बता दें कि वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, और वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि किस तरह कुछ बच्चे कूड़ेदान से खाने की चीजें ढूंढ रहे हैं। यह तस्वीर नालागढ़ के सैनी माजरा में एक प्रवासी बच्चों की बताई जा रही है, जोकि कूड़ेदान से कुछ खाने के लिए ढूंढते हुए दिखाई दे रहे हैं।
प्रदेश का सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र बद्दी बरोटीवाला नालागढ़ है। यहीं से सबसे ज्यादा राजस्व प्रदेश सरकार के खाते में जमा होता है। या फिर यूं कहें कि औद्योगिक क्षेत्र बद्दी बरोटीवाला नालागढ़ से ही हिमाचल सरकार चल रही है। वहीं बाहरी राज्यों से क्षेत्र में रोजी-रोटी की तलाश में आए प्रवासियों के बच्चों को कूड़ेदान से खाना ढूंढना पड़ रहा है। अब यहां सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा बच्चों के लिए अनेको शिक्षा को लेकर योजनाएं चलाई जा रही है, लेकिन क्या यह बच्चे उन योजनाओं में नहीं आते। क्या ऐसे पढ़ेगा इंडिया, जब देश का भविष्य कूड़ेदान से रोटी खोज रहा है। इन तस्वीरों ने प्रदेश सरकार एवं केंद्र सरकार के दावों की पोल खोल कर रख दी है।
हालांकि इस बारे में जब हमने स्थानीय लोगों से बात की तो उनका कहना है कि जैसे-जैसे क्षेत्र में औद्योगीकरण हुआ है। वैसे ही यहां पर भारी राज्यों से प्रवासियों का आना भी हुआ है, उनके साथ उनके बच्चे भी आए है, लेकिन गरीबी और बेबसी के चलते अब यह प्रवासी बच्चे ऐसे ही कूड़ेदान से या फिर कबाड़ इकट्ठा करके उसे किसी दुकान पर बेच कर अपनी दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करते हैं।
लोगों का कहना है कि सरकार द्वारा स्कीमें तो चलाई जा रही है, लेकिन उनका फायदा इन प्रवासी बच्चों को नहीं मिल रहा है। जिसके चलते यह बच्चे अपनी मजबूरी के कारण उसे अपनी रोजी-रोटी तलाश रहे हैं। लोगों का कहना है कि जिला स्तर पर जिला अधिकारी द्वारा एक कमेटी का गठन किया जाए और पूरे जिले में ऐसे बच्चों की तलाश की जाए तथा उनके लिए रहने खाने पीने और पढ़ाई की व्यवस्था भी की जाए तब जाकर यह बच्चे पढ़ लिख कर आगे कुछ कर सकते हैं। लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो इनकी जिंदगी इसी तरह नर्क में बीत जाएगी और देश का भविष्य गर्त में डूब जाएगा।