जिला कांग्रेस महासचिव संदीप सांख्यान ने प्रदेश सरकार की कोविड 19 के चलते प्रदेश सरकार की दवाओं को लेकर आपूर्ति पर प्रश्न खड़े किए है। उन्होंने कहा कि हिमाचल और जिला बिलासपुर के कोविड सेंटरो में टॉइलिजुमब,रेमडिसिवर, टोफ़ाडोज़ जैसी जीवन रक्षक दवाइयां क्यों मौजूद नहीं है। टॉइलिजुमब,रेमडिसिवर, टोफ़ाडोज़ यह वह दवाइयां है जो लाज़मी तौर पर हिमाचल प्रदेश के हर कोविड सेंटर में उपलब्ध होने चाहिए जो अभी तक भी उपलब्ध नहीं हैं। क्योंकि विशषज्ञों के अनुसार कोविड 19 के सीवियर इंफेक्शन से यदि कोई मरीज ग्रसित हो जाता है तो यदि इन दवाओं को दिया जाए तो कोविड 19 के मरीज के जीवन मे 60 प्रतिशत तक बचने की क्षमता रहती है या कोविड 19 के मरीज को बचाया जा सकता है, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि हिमाचल प्रदेश के किसी भी कोविड सेंटर में इन जीवन रक्षक दवाओं की उपलब्धता नहीं है। जिला के कई रीजनल अस्पताल के प्रभारियों ने प्रदेश सरकार को इन दवाओं की आपूर्ति करवाने हेतू लिखा भी है लेकिन अभी तक प्रदेश सरकार इनको उपलब्ध नहीं करवा सकी है। कहने को तो देश की कई प्रमुख कंपनियां रेमडेसिवीर इंजेक्शन बना रही हैं, लेकिन ये जा कहाँ रहे हैं इसकी सूचना से आम जनता बेख़बर है। धरातल पर इसे पाने के लिए आम आदमी के हिस्से एक बार फिर वही कड़ा संघर्ष ही आ रहा है। क़ीमत की तो चर्चा ही अलग है। मीडिया के हवाले से आ रही खबरों से यह भी पता चल रहा है कि इन दवाओं की कालाबाजारी शुरू हो चुकी है, जितने भी बड़े निजी अस्पताल है इनमें इन दवाओं का स्टॉक पहले ही उठा लिया है और 899 रुपये का मूल्य 70 हजार 1 लाख तक बेचा जा रहा है। इस पर देश और प्रदेश की सरकारें लगाम लगाने में नाकाम हो चुकी हैं और इन कोविड19 मे काफी कारगर दवाओं को हिमाचल प्रदेश के कोविड सेंटरो में पहुंचाने में सरकार अभी तक असफल रही है। जो सामने दिख रहा है, वो केवल दवाई, अस्पतालों में बेड की उपलब्धता और ऑक्सीजन के लिए हो रही लड़ाई है और हालात ये हैं कि इस इंजेक्शन की एक डोज़ का मिलना भी मुश्क़िल दिख रहा है, जबकि गंभीर स्थिति वाले मरीज के लिए रेमडिसिवर के छह इंजेक्शन का डोज़ अनिवार्य होता है। ऐसे में इसे पाना कितना जरुरी है ये केवल उस मरीज़ के परिजन ही समझ सकते हैं जिनको इस दवा की जरूरत है। फिलहाल तो दुआ ही कर सकते है क्योंकि प्रदेश सरकार के स्वाथ्य मंत्री व स्वाथ्य विभाग को समझ ही कुछ नही। आ रहा है। इससे बड़ी लाचारी और विडंबना प्रदेश सरकार की हो नहीं सकती। कोविड-19 की कई ऐंटीवायरल दवाएं कोरोना मरीजों पर असर कर रही हैं। अलग-अलग बीमारियों में इस्तेमाल होने वाली चार बड़ी दवाओं का कोविड-19 के इलाज में खूब यूज हो रहा है। इनमें से अधिकतर ड्रग्स अब भारत में ही बन रहे हैं। कुछ मूल ड्रग के जेनेरिक वर्जन हैं। लेकिन आम लोंगो के उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। प्रदेश सरकार में किसकी जिम्मेदारी तय हुई चाहिए जनता को जबाब चाहिए।
आदर सहित
संदीप सांख्यान
महासचिव, जिला कांग्रेस
बिलासपुर (हिप्र)