प्रदेश सरकार के निर्देशों के अनुसार शिमला जल प्रबन्धन निगम लिमिटेड (एसजेपीएनएल) द्वारा शिमला शहर के नागरिकों को वर्षभर विशेषकर कोरोना वायरस के दौरान स्वच्छ पेयजल सुनिश्चित करवाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।
एसजेपीएनएल द्वारा लोगों को श्रेष्ठ गुणवत्तायुक्त पानी की आपूर्ति के लिए वैज्ञानिक तरीके अपनाए जा रहे हैं। हाल ही में ब्यूरो आॅफ इण्डियन स्टेंडर्स के सर्वेक्षण के अनुसार शिमला के पानी की गुणवत्ता को देशभर में छठा स्थान प्राप्त हुआ है।
स्वच्छ पेयजल की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए पानी को क्लोरिन गैस क्लोरीनेटर्स तथा ब्लीचिंग पाउडर का उपयोग कर ‘डिसइन्फेक्ट’ किया जा रहा है। आई.जी.एम.सी. शिमला के माइक्रोबायोलाॅजी तथा कम्युनिटी मेडिसनज विभाग के निर्देशों के अनुसार जल में रेजिड्यूल क्लोरीन की न्यूनतम मात्रा 1 पीपीएम से अधिक सुनिश्चित की जा रही है। पम्पिंग सिस्टम के वास्तविक कार्य निष्पादन की निगरानी के लिए एक वैब आधारित एप्लिकेशन भी विकसित की गई है।
क्लोरीन के आवश्यक स्तर को बनाए रखने के लिए सभी 966 की नोड्ज डिस्ट्रीब्यूशन माॅनिटरिंग साॅफ्टवेयर पर चिन्हित किये गये हैं तथा सभी की-मैन को जलापूर्ति प्रदान करने से पहले रेजिडयूल क्लोरीन की मात्रा को मापने तथा साॅफ्टवेयर पर अपलोड करने के निर्देश दिए गए हैं। यदि यह मात्रा एक पीपीएम से कम है तो पहले क्लोरीन की मात्रा को सुनिश्चित की जाए तथा इसके एक घण्टे के उपरांत पानी की आपूर्ति प्रदान की जाए। सभी सुपरवाइजरी स्टाफ तथा अधिकारियों को वास्तविक स्थिति के आधार पर सूचना उपलब्ध करवाई जा रही है ताकि निर्देशों का सतर्कतापूर्वक पालन किया जा सके। इस साॅफ्टवेयर को एसजेपीएनएल द्वारा स्थानीय तौर पर विकसित किया गया है, जिससे जलापूर्ति की समयावली तथा क्लोरीन डोज की निगरानी प्रभावी रूप से की जा रही है।
जल की गुणवत्ता की निगरानी के लिए एसजेपीएनएल द्वारा प्रतिदिन आई.जी.एम.सी. के माइक्रोबायोलाॅजी विभाग में पानी के 20 सैंपल की जांच करवाई जा रही है, जिनमें से तीन सैंपल संजौली टैंक, ढली टेैंक तथा कसुम्पटी टैंक से तथा शेष 17 सैंपल विभिन्न स्थलों से रैंडम तौर पर लिए जा रहे हैं। पानी की जांच का यह प्रोटोकाल भारतीय सरकार के शहरी विकास मंत्रालय द्वारा निर्देशित प्रक्रिया से 30 गुणा अधिक है।
शिमला में प्रतिदिन 46 से 48 मिलियन लीटर पानी की आवश्यकता होती है। एसजेपीएनएल इस मांग की पूर्ति 6 स्रोतों से पानी उठाकर कर रहा है। सभी क्षेत्रों में प्रतिदिन 43 सेक्टर स्टोरेज टैंक तथा लगभग 225 किलोमीटर पाइप नेटवर्क के माध्यम से 1.5 से 2 घण्टों तक जलापूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। जलापूर्ति का संचालन 75 की-मैन द्वारा 966 ‘की-नोडस’ पर प्रातः 2 बजे से रात 11 बजे तक किया जा रहा है। पम्पिंग स्टेशन तथा वितरण नेटवर्क के संचालन व देखभाल के लिए लगभग 225 कर्मचारी दिन-रात तैनात किए गए हैं।
स्वास्थ्य विभाग के दिशा-निर्देशोंनुसार सभी वाटर ट्रीटमेंट प्लांटस तथा स्टोरेज टैंक साफ तथा सेनेटाइज किए गए हैं और टैंकों की सफाई तथा देखभाल के लिए मानक संचालन प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है।
डब्ल्यू.ए.पी.सी.ओ.एस. के माध्यम से करवाए गए वाटर आॅडिट सर्वेक्षण के अनुसार पानी वितरण नेटवर्क में लगभग 25 प्रतिशत रिसाव पाया गया है। ज्यादातर रिसाव वाले स्थल व्यस्त सड़कों या स्थलों पर हैं। लाॅकडाउन के कारण सड़कों पर ट्रैफिक न होने से एसजेपीएनएल ने पानी के रिसाव वाले 47 स्थलों में मुरम्मत कार्य किया है, जिससे लगभग 3 एमएलडी प्रतिदिन अतिरिक्त पानी उपलब्ध हो पा रहा है।
सीवरेज सेवाओं से सम्बन्धित विभिन्न चुनौतियों से निपटने के लिए कई बचाव कदम उठाए गए हैं। एसजेपीएनएल लगभग 288 किलोमीटर के सीवर नेटवर्क का रखरखाव सुनिश्चित बना रहा है, जिससे सीवेज एकत्रित कर लालपानी, बड़ागांव, मल्याणा, ढली, स्नोडन, बरमू, समरहील तथा नाॅर्थ डिस्पोजल (गोलचा) स्थित 6 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचा जाता है। एकत्रित किए गए सीवेज का केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशा-निर्देशों के अनुसार ट्रीट कर निष्पादन किया जा रहा है। सीवर नेटवर्क तथा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के संचालन तथा देखभाल के लिए लगभग 250 सीवरमैन तथा अन्य स्टाफ प्रतिदिन कार्य कर रहे हैं।
इसके अतिरिक्त, जल दूषित होने की सभी संभावनाओं तथा खुले नालों में ‘ग्रे-वाटर’ बहने से रोकने के लिए लाॅकडाउन अवधि के दौरान शिमला शहर के प्रत्येक घर में सीवरेज कनेक्टीविटी, गे्र-वाटर कनेक्टिविटी, शेयरड सीवर कनेक्शन संबंधी सर्वेक्षण कार्य किया गया है।
श्रमशक्ति पर निर्भर न रहने के उद्देश्य से सभी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के संचालन तथा देखभाल के लिए आॅटोमेशन एण्ड सुपरवाइजरी कन्ट्रोल एण्ड डाटा एक्वीजेशन सिस्टम आरम्भ किया गया है। सभी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में आॅनलाइन एफ्लुअंट क्वालिटी माॅनिटरिंग सिस्टम स्थापित करने के लिए प्रक्रिया आरंभ की गई हैं।
शिकायत निवारण प्रणाली की प्रगति की निगरानी के लिए शिकायत निवारण माॅनिटरिंग साॅफ्टवेयर विकसित किया गया है। हेल्पलाइन नम्बर-1916 गठित किया गया है। सीवरेज सेवाओं से संबंधित सभी निजी व सार्वजनिक शिकायतों के निवारण के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन अधिनियम 2005 की धारा 41 (2) के प्रावधान के अनुसार एक स्पेशयल टास्क फोरस गठित की गई है। सीवर रिसाव वाले 37 संभावित स्थल चिन्हित किए गए हैं तथा इनकी मुरम्मत की जा रही है।