कोरोना काल में जुन्गा क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई है अधिकांश स्वास्थ्य स्वास्थ्य संस्थान स्टाफ के अभाव में बंद पड़े है और लोगों को दवाएं भी उपलब्ध नहीं हो रही है । बता दें कि बीते कई दिनों से जुन्गा क्षेत्र के करीब सभी गांव में खांसी व बुखार से असंख्य लोग पीड़ित है परंतु स्वास्थ्य सेवाएं ठप्प होने से लोगों को कोरोना उपचार की एजिथ्रोमाईसीन इत्यादि दवाओं के लिए सोलन अथवा शिमला जाना पड़ रहा है । स्वास्थ्य सेवाओं का आलम यह है कि जुन्गा क्षेत्र के उप स्थास्थ्य केंद्रों में ताले लटके हुए है जिससे सरकार के गुणात्मक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के दावे खोखले साबित हो रहे है । पीएचसी ट्राई का संचालन चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी द्वारा पिछले तीन वर्षों से किया जा रहा है । स्थानीय लोगों के अनुसार इस पीएचसी में तैनात डॉक्टर के दर्शन साल में कभी कभार होते हैं । यहीं नहीं पीएचसी ट्रहाई में दवाओं का अभाव है।
जिला भाजपा सदस्य प्रीतम सिंह ठाकुर, राजेश ठाकुर, पूर्व प्रधान अतर सिंह ठाकुर, दयाराम वर्मा का कहना है बलोग, पीरन, सतलाई पंचायत में असंख्य लोग बुखार व गले की दर्द से पीड़ित है परंतु क्षेत्र की पीएचसी और आयुर्वेदिक डिस्पेंसरियों में दवाईयां ही उपलब्ध नहीं है । इनका कहना है कि मेडिकल टीम द्वारा भी इस क्षेत्र का पिछले 15 दिनों में एक बार दौरा भी नहीं किया गया ताकि लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं संबधी राहत उपलब्ध होती । सरकार द्वारा कोरोना र्क्यफू लगाए जाने से बस सेवाएं बंद हो चुकी है और कोरोना काल में लोगों को दवाएं सोलन अथवा शिमला से लाने के लिए निजी वाहनों को भारी भरकम राशि अदा करनी पड़ रही है । क्षेत्र के लोगों की मांग है कि पीएचसी ट्रहाई के डॉक्टर को तुरंत बदली किया जाए अथवा पिछले तीन वर्षों से डियूटी पर न रहने बारे आवश्यक कार्यवाही की जाए । इनका कहना है कि बीएमओ की छत्रछाया में यह डॉक्टर पीएचसी में बैठता ही नहीं है ।
बीएमओ मशोबरा डॉ0 राकेश प्रताप ने बताया कि शीघ्र ही डॉक्टर की टीम को क्षेत्र में भेजा जाएगा जो मौके पर बिमार व्यक्तियों के मौके पर सैंपल लेगें।
जुन्गा क्षेत्र के स्वास्थ्य संस्थानों में दवाई व स्टाफ का टोटा
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