कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर ने उच्चतम न्यायालय द्वारा नए कृषि कानूनों को लेकर बनाई चार सदस्यीय कमेटी के औचित्य पर सवाल उठाते हुए कहा है कि इन चारों सदस्यों का पहले से ही इस कृषि कानून का खुला समर्थन रहा है,ऐसे में इस कमेटी की रिपोर्ट की निष्पक्षता सम्भव नहीं है।
उन्होंने कहा है कि किसान भी इस कमेटी को पूरी तरह नकार चूके है।उन्होंने कहा है कि उन्हें भी ऐसा लगता है कि इस कमेटी का गठन किसानों के इस आंदोलन को दबाने मात्र का एक प्रयास है।उन्होंने कहा है कि जबकि इस कमेटी की कोई कानूनी वैद्यता ही नही है तो इसके किसी भी निष्कर्ष के क्या मायने होंगे।
राठौर ने उच्चतम न्यायालय से अपने इस कमेटी गठन के फैंसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह करते हुए कहा है कि अगर न्यायालय को लगता है कि किसी भी कमेटी से इस कानून का कोई हल निकल सकता है तो उन्हें ऐसी कोई कमेटी बनानी चाहिए जिस पर इन किसानों को पूरा भरोसा हो।कमेटी में कृषि व बागवानी से सम्बंधित विशेषज्ञ,किसान संगठनों के प्रतिनिधि तथा राजनैतिक दलों के प्रतिनिधि भी शामिल किए जाने चाहिए।
राठौर ने कहा है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित इस कमेटी में शामिल किए गए सदस्य किसान हित की पेरबी नही कर सकते क्योंकि यह सभी पहले से ही सार्वजनिक तौर पर इस कानून के पक्ष में अपने विचार प्रकट कर चुकें है।इसलिए इस कमेटी से किसी भी न्याय या निष्पक्षता की उम्मीद नही की जा सकती।