सिरमौर जिला के राजगढ़ तहसील के बखोग गांव निवासी न्यायधीश सुरेंद्र सिंह ठाकुर हाई कोर्ट में जज बनने वाले पहले सिरमौरवासी हैं। इनके पिता केदार सिंह ठाकुर पुलिस विभाग में डीएसपी थे और विभाग में बेहतर सेवाओं के लिए उन्हें प्रेसिडेंट अवॉर्ड से भी नवाजा गया था। सुरेंद्र सिंह ठाकुर का चयन एडीशनल डिस्टिक एंड सेशन जज के रूप में सन 1990 में हुआ था और इन्होंने विभिन्न जिलों में अपनी सेवाएं बतौर जिला एवं सत्र न्यायधीश दी। सुरेंद्र सिंह ठाकुर दो बार लीगल रिमेंबरांसर कम प्रिंसिपल सेक्टरी लाॅ रहे। वह रजिस्ट्रार विजिलेंस हाई कोर्ट में भी रहे। 2006 में इनका चयन हाई कोर्ट ऑफ हिमाचल प्रदेश में हुआ था और 2013 में वे सेवानिवृत्त हुए। इस दौरान वह हिमाचल प्रदेश ज्यूडिशल अकैडमी की गवर्निंग बॉडी में मेंबर भी रहे है। वह हाईकोर्ट कॉलेजियम के भी मेंबर रहे। सेवानिवृत्ति के बाद 2014 में इनकी नियुक्ति बतौर जुडिशल मेंबर आर्म्ड फोर्सज ट्रिब्यूनल में हुई। वह चंडीगढ़ बेंच नॉर्थ इंडिया में 2016 तक रहे। उसके बाद सुरेंद्र सिंह ठाकुर चेयरमैन/ एडवाइजर लीगल स्टडीज शूलिनी यूनिवर्सिटी सोलन में रहे। 2019 से वह अपीलेट अथॉरिटी ऑफ उत्तरांचल अनएडिट प्राइवेट प्रोफेशनल एजुकेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ उत्तराखंड के चेयरमैन रहे। अब इन्हे 27 नवंबर को हिमाचल प्रदेश सरकार ने 3 वर्ष के लिए जूविनाइल जस्टिस एक्ट के तहत स्टेट सिलेक्शन कमेटी का चेयरमैन नियुक्त किया है।