लाहौल-स्पीति
तन्जिन वंगज्ञाल;
प्यूकर में यह अनूठी और प्रेरणादायक परंपरा दशकों से प्रचलन में है। स्थानीय बोली में बेटी के जन्म पर आयोजित होने वाली इस रस्म अदायगी को “गोची उत्सव” का नाम दिया गया है।
उपायुक्त लाहौल-स्पीति पंकज राय ने प्यूकर के अनोखे गोची उत्सव में शिरकत की जहां पर बेटियों के जन्म पर गोची उत्सव मनाया जाता है। बता दें कि उत्सव स्थानीय ग्राम देवता तंगज़र महादेव की पूजा अर्चना के साथ शुरू होता है तथा बर्फ़ के बीच गाँव से ऊपर कुछ ही लोग देव स्थल पर पूजा अर्चना करते हैं। फ़िर गोची-गृह में जाकर लोग(जिनके घर गोची होती है) लोक वाद्य की धुनों पर नृत्य करते हैं। स्थानीय लोगों से यहाँ के जीवन के बारे में बातचीत करते हुए उपायुक्त ने पुराने समय में प्रयोग किये जाने वाले पारंपरिक चीजों बर्तनों तथा हस्तशिल्प की वस्तुओं का अवलोकन भी किया। यहां के पत्थर व मिट्टी के यह बर्तन सूप व मरचु बनाने के लिए प्रयोग किए जाते थे, इस अवसर पर स्थानीय लोगों ने पारंपरिक व्यंजन परोस कर अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा की ‘स्नो फ़ेस्टिवल’ के समापन के अवसर पर हम इन पुरातन धरोहर की वस्तुओं की एक प्रदर्शनी लगाने का भी प्रयास करेंगे ताकि लोगों को आधुनिकता के इस दौर में पुराने समय में जीवन यापन की चीजों का ज्ञान हो और इन चीजों का भविष्य के लिए संरक्षण किया जा सके।
उपायुक्त पंकज राय ने बताया कि यहां का गोची पूरे देश के लिए ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का यह बहुत ही सशक्त सन्देश का मॉडल है।
जहां सरकार ने बेटियों के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं वही यह गाँव अपने आप में बेटी को समता का सन्देश देने के लिए पूरे देश के लिए एक रोल मॉडल है। पंकज राय ने जानकारी दी कि अगले वर्ष सर्दियों में वाहन सभी घटियों के लिए चलाने की व्यवस्था की जाएगी ताकि इन उत्सवों पर्यटकों को शामिल करवाने के लिए भी लोगों को सुविधा मिले। उन्होंने लोगों को ‘होम स्टे’ स्कीम से जल्द से जल्द जुड़ने बारे में भी।जानकारी दी। इस अवसर पर उन्होंने नवजात बच्चे-बच्चियों के परिजनों को सम्मानित भी किया।
इस अवसर पर सीडीपीओ, एडीओ, आरएम आआदि अधिकारी भी उपस्थित रहे।