राजस्थानी शिमला के समय का प्राचीन शिव बावड़ी मंदिर में आज आखिरी श्रावण में होने वाले हवन के हवन यज्ञ की तैयारी चल रही थी। शहर का हरेक कारोबारी अपने परिवार संघ हवन करने मंदिर में पहुंचते थे। आज भी कुछ ऐसा ही हुआ। मंदिर में एक तरफ एक की तैयारी चल रही थी वहीं दूसरी तरफ सोमवार को बटने वाली खीर की भी तैयारी चल रही थी। पर इस आखिरी सोमवार को पता नहीं क्यों महादेव इतने रूट हो गए कि अचानक से मंदिर का नामोनिशान मिट गया।
बताया जा रहा है कि मंदिर में दो दर्जन से ज्यादा लोग मौजूद थे, वह हर सोमवार की तरह आज भी शिवलिंग अभिषेक कर रहे थे। जबकि मंदिर कमेटी के सदस्य प्रसाद बनाने में जुटे थे। पर कुछ सेकंड में कुदरत ने ऐसा कहर बरपा की शिव मंदिर का नामोनिशान ही मिट गया।
रात भर मुसलाधार बारिश से पहाडी दरकी और मंदिर को तहस-नहस कर दिया। भूस्खलन से घटनास्थल पर अफरा-तफरी मच गई। तबाही का ऐसा मंदिर था जो किसी ने कभी नहीं देखा था
सूचना मिलने पर पुलिस व प्रशासन की टीमें भी मौके पर पहुंची और राहत व बचाव कार्य शुरू किया। हादसे के करीब दो घंटे बाद दो मासूम शवों के क्षत विक्षत शव बरामद हुए। 15 अगस्त को इस मंदिर में सालाना भंडारे का आयोजन रखा गया था। लेकिन इस हादसे ने मंदिर का नामोनिशान ही मिटा दिया।
हादसे का शिकार हुआ “शिव बावड़ी मंदिर” शिमला का प्राचीन मंदिर है। यह उपनगर समरहिल से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर है। मंदिर परिसर के समीप रिहायशी कॉलोनियां हैं। इस क्षेत्र में रहने वाले अधिकतर लोगों में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (HPU) के शिक्षक और छात्र शामिल हैं। मंदिर परिसर में तीन शिवलिंग, भगवान राम, कृष्ण, नारायण, दुर्गा माता की मूर्तियां हैं। इसके अलावा पुजारियों के रहने के लिए पांच कमरे थे। यहां कई सालों से गढ़वाल के पुजारियों ने पूजा अर्चना का काम संभाला हुआ था।
मंदिर के पास बावड़ी होने की वजह से इस जगह का नाम शिव बावड़ी पड़ा। राहत व बचाव दलों ने 9 शवों को घटनास्थल से बरामद किया है। वहीं दो दर्जन के करीब लोग लापता हैं। प्रशासन की ओर से बड़े पैमाने पर रेस्कूय आपरेशन चलाया है।