नकदी फसलों के उचित दाम न मिलने पर पारंपरिक फसलें बनी किसानों का सहारा
काफी वर्षों के अतंराल के उपरांत राजगढ़ क्षेत्र में इस वर्ष मक्की की रिकार्ड बिजाई हुई है । कृषि विभाग के अनुसार इस वर्ष राजगढ़ क्षेत्र के किसानों को मक्की का 177 क्ंिवटल उन्नत किस्म का बीज उपदान पर उपलब्ध करवाया गया है जबकि गत वर्ष केवल एक सौ क्ंिवटल मक्की का बीज वितरित किया गया था । जिसकी पुष्टि कृषि विकास अधिकारी राजगढ़ डॉ0 अंजलि कुमारी ने की है ।
बता दें कि सोलन के बाद राजगढ़ क्षेत्र में नकदी फसलों का सर्वाधिक उत्पादन होता है परंतु लॉकडाउन के चलते इस वर्ष नकदी फसलों के उचित दाम न मिलने के कारण किसानों का रूझान पारंपरिक फसलों की ओर बढ़ गया है जबकि पिछले काफी वर्षों से इस क्षेत्र में पांरपरिक फसलों की जगह बेमौसमी सब्जियों का प्रचलन काफी हो गया था । विपणन की व्यवस्था न होने पर इस वर्ष किसानों के फूल खेतों में ही सड़ गए । इसी प्रकार मटर व गोभी के भी उचित दाम नहीं मिल पाए और किसानों को भविष्य में शिमला मिर्च, टमाटर, फ्रांसबीन इत्यादि फसलों के उचित दाम मिलने की भी आशंका है ।
डॉ0 अंजलि ने बताया कि किसानों को इस वर्ष मक्की का बीज 45 रूपये प्रति किलोग्राम उपदान पर उपलब्ध करवाया गया है जिसमें मक्की की प्रमुखतः किस्म पीजी-2487 और के-25 गोल्ड शामिल है ।
जबकि मार्किट में इसकी कीमत 85 रूपये प्रतिग्राम है । इनका कहना है कि राजगढ़ ब्लॉक में करीब 2600 हैक्टेयर भूमि पर मक्की की खेती की जाती है जिसमें औसतन 6 हजार मिट्रिक टन उत्पादन होता के किसान नरेश कुमार, बालक राम, पंकज सहित अनेक किसानों ने बताया कि नकदी फसलों के उचित दाम न मिलने पर अब पारंपरिक फसलें उगाना एक मात्र विकल्प रह गया है ताकि वर्ष भर अपना अनाज खाने को उपलब्ध हो सके ।