ठंडे रेगिस्तान के नाम से विख्यात लद्दाख में सुगंधित फसलों और फूलों की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। सीएसआईआर-आईएचबीटी संस्थान पालमपुर ने इसके लिए पहल की है। सीएसआईआर की टीम ने वहां का दौरा किया है। यह क्षेत्र प्राकृतिक सिंचाई सुविधाओं से वंचित है और सुगंधित फसलों और फूलों की खेती के लिए उपयुक्त है। इसके लिए सीएसआईआर और उद्योग, वाणिज्य विभाग लद्दाख के बीच मई माह में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए थे।
उच्च मूल्य वाली सुगंधित फसल, क्लेरी सेज, वाइल्ड मैरीगोल्ड, डैमस्क रोज, लेवेंडर, मिंट, ड्रेकोसेफालम, आर्टेमिसिया और पुष्प कृषि फसल लिलियम, ट्यूलिप और ग्लैडियोलस उगाने के लिए यहां की भूमि उपयुक्त पाई गई थी। अब सीएसआईआर-आईएचबीटी वैज्ञानिकों की चार सदस्यीय टीम ने सुगंधित फसलों व फूलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए लेह और नुब्रा घाटी का दौरा किया और ठंडे रेगिस्तानी इलाकों में किसानों व विभिन्न विभागों और गैर सरकारी संगठनों के अधिकारियों के साथ इन फसलों की खेती करने के लिए वार्तालाप किया। टीम ने क्षेत्र के किसानों के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए।
उद्योग और वाणिज्य विभाग के अधिकारियों, कृषि विभागों, प्रगतिशील किसानों, उद्यमियों और लद्दाख के गैर सरकारी संगठनों से मुलाकात की। अरोमा मिशन के सह नोडल अधिकारी डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि दुनिया भर में सुगंधित फसलों की खेती व्यापक रूप से की जाती है। उच्च आय अर्जित करने वाले सुगंधित तेल का उपयोग कृषि रसायन, भोजन, स्वाद, सुगंध और दवा उद्योग में किया जाता है। उधर, सीएसआईआर के निदेशक डॉ. संजय कुमार ने कहा कि सुगंधित फसलों और फूलों की खेती से वहां के किसानों की आर्थिकी मजबूत होगी। कहा कि यह मिशन प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत बनाने के सपने की दिशा में एक कदम के रूप में भी काम करेगा।