देश में कोरोना के खिलाफ जारी टीकाकरण अभियान के रविवार को 100 दिन पूरे हो जाएंगे। 23 अप्रैल की रात तक 11.69 करोड़ लोगों को वैक्सीन के 13.84 करोड़ डोज लग चुके थे। दोनों डोज लगवाने वालों की संख्या अभी 2.15 करोड़ हैं। लेकिन, जिस रफ्तार से टीके लग रहे हैं, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि रविवार रात तक 14.35 करोड़ डोज लग जाएंगे। यानी देश की करीब 10% आबादी टीके की कम से कम एक डोज लगवा चुकी होगी।
कोरोना से संपूर्ण सुरक्षा बेशक दोनाें डोज लगवाने के बाद ही मिलेगी, लेकिन ताजा अध्ययन बता रहे हैं कि एक डोज लगवाने वाले जो लोग संक्रमित हुए भी हैं, उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत नहीं आई। टीके की एक डोज संक्रमित होने के बाद व्यक्ति को गंभीर रूप से बीमार पड़ने से बचा रही है। इसलिए एक डोज लगवा चुके लोगों की जान भी कोरोना से लगभग सुरक्षित मानी जा रही है। हालांकि, चिंता की बात यह है कि 100 दिन में भारत की 2 फीसदी आबादी को भी टीके की दोनों डोज नहीं लग पाई हैं।
बार-बार आने वाली कोरोना लहर रोकने के लिए 70% आबादी को टीके जरूरी
हम यह लक्ष्य कब पाएंगे, इन 5 बातों से समझिए
1. 100 दिन में लगे टीकों का ओवरऑल औसत 13.84 लाख/प्रति दिन रहा है, जो बहुत कम है। यही रफ्तार रहती तो लगते 3 साल 6 महीने
2. लेकिन, अब रोज लगने वाले टीकों का औसत (7 दिन मूविंग) 24 लाख चल रहा है। इस धीमी रफ्तार से चलेंगे तो लगेंगे1 साल 9 महीने
3. देश में हर महीने 8 करोड़ टीके बन रहे हंै। ये सभी टीके हर महीने देश में ही इस्तेमाल हों तो 70% आबादी कवर करने में लगेंगे1 साल 8 महीने
4. केंद्र का दावा है कि जून से बाद देश में 12 करोड़ टीके/प्रतिमाह उत्पादन क्षमता होगी। सभी टीके देश में इस्तेमाल हों तो लगेंगे1 साल 2 महीने
5. दो माह में विदेशी टीके आएंगे। हर माह 2 करोड़ संभव हैं। यानी 14 करोड़ टीके हर माह उपलब्ध होंगे। ऐसे में कुल समय लगेगा सिर्फ 1 साल
- क्योंकि 70% आबादी को दो-दो डोज लगाने के लिए कुल 182 करोड़ डोज की जरूरत पड़ेगी। 13.84 करोड़ डोज लग चुके हैं। बाकी 168 करोड़ डोज हम एक साल में लगा सकते हैं। यानी अप्रैल 2022 तक हम लक्ष्य हासिल कर सकते हैं।
- डब्ल्यूएचओ के अनुसार, किसी भूभाग पर रहने वाली 70% आबादी को वैक्सीन लग जाए तो वहां संक्रमण
- की अगली लहर नहीं आएगी। 70% आबादी कवर होने के बाद ही कोरोना के खात्मे की उम्मीद करनी चाहिए।